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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३४३

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an unhappy rendering of a beautiful musical verse. May you see greater light out of this darkness. I know that you stand in no need of any comfort from any of us and that it has to come from within. This is merely an evidence of what all of us three are feeling about you." "आपका २३ तारीखका हृदयद्रावक पत्र मुझे आज मिला। अभी. तक पापाका खत नहीं पहुंचा है। अधिकारी लोग मेरे पत्रव्यवहारकी जरूरतसे ज्यादा देखभाल करते हैं । अिसलि पत्र मिलने में बड़ी देर होती है और अनिश्चितता भी बहुत रहती है । आनेवाले पत्र जरूर वक्त पर मिल जाते हैं। आप पर जो विपत्ति आ पड़ी है, अस समय मृत्युके बारेमें चर्चा करना मुझे पसन्द नहीं है । जॉबकी तरह आप कह सकते हैं कि यह कंगाल आश्वासक है।' मगर मुझे अितना तो लगता ही है कि हम औश्वरको पहचानते हैं, तो मृत्युमें भी आनन्द मानना सीखना ही चाहिये । गुजरातके. पहले भक्त-कवि नरसिंह मेहताका लड़का गुजर गया तब कहते हैं कि असने अत्सव मनाया और कहा ~~ 'भलं ययु भांगी जंजाल, सुखे भजीशु श्रीगोपाल'। परमात्मा करे आपको अिस अंधकारमेंसे ज्यादा प्रकाश मिले । मैं जानता हूँ कि हमारे किसीके आश्वासनकी आपको जरूरत नहीं । वह तो भीतरसे ही मिल. सकता है । यह तो सिर्फ यही बतानेको लिखा है कि हम तीनोंको आपके लिओ कितनी भावना है।" बेचारे सुचैयाकी लड़की जिस दिन वह जेलसे आया असी दिन मर गयी। असे लिखाः "I can understand your grief and her's over the loss of your child of whom Lalita used to write to me in such loving terms. But you have lived long enough in the Ashram to realize, especially on such occasions, that God has the right to take away from us what He gives us. You know what we believe. Our belief is that everyone of us comes to this world as a debtor and we leave when the debt is for the time being discharged. The child has paid the debt and is free. You and Lalita and all the rest of us have still to discharge our obligations." तुम्हारा और ललिताका दुःख मैं समझ सकता हूँ। भिस बच्चीके बारे में ललिता मुझे प्रेमपूर्ण शन्दोंमें अक्सर लिखती रहती थी। तुम तो आश्रममें काफी समय तक रहे हो । अिसलि अितना तो समझ ही सकते हो, खास तौर पर से मौके पर, कि औश्वरने हमें जो दिया है असे ले लेनेका असे अधिकार है । ३२४