पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३४९

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भगवानजीको लिखा ीशोपनिषद्में अक मंत्र है। असका अर्थ यह भी होता है कि तू अपने सामने रखे हुझे काम पर ध्यान दे । औसा करते करते जरूर मीश्वरके दर्शन होंगे । औश्वर तो सभी जगह है। मेरे' काममें भी है । जिसे मैं 'अपना' काम मानता हूँ वह असीका है । · अस कामका ध्यान करूँ तो असीको मानूंगा । जो मालिकका काम करता है, वह मालिकको पाता है।" - दूसरे पत्रमें लड़कियाँ शीलकी रक्षाका विचार करने लगी हैं। क्या असकी रक्षा हथियारोंसे नहीं हो सकती ! अन्हें दो जवाव दिये - " जिसका मन पवित्र है, असे विश्वास रखना चाहिये कि पवित्रताकी रक्षा ीश्वर जरूर करेगा। हथियारोंका आधार झुठा है। हथियार छीन लिये जायँ तो ? अहिंसाधर्मका पालन करनेवाला हथियारों पर भरोसा न रखे; असका हथियार असकी अहिंसा, झुसका प्रेम है ।" अंक लड़कीने यह पूछा था कि सच होते हुझे भी अप्रिय बोलें, तो क्या हिंसा नहीं होगी?" असे जवाब दिया - सच बातसे किसीका जी दुखे तो असमें हिंसा नहीं है। हमारी अिच्छा न होने पर भी किसीका जी दुखे तो असमें हिंसा नहीं है । मैं तुमसे गायका दूध माँगू मगर मुझे असका व्रत होनेके कारण तुम न दो और मेरा जी दुखे तो तुम हिंसा नहीं करती, धर्मका पालन करती हो।" -"स्त्रीको या और किसीको रक्षाके लिझे बाहरी इथियारों की जरूरत नहीं है । कभी कभी ये हथियार रक्षा करनेवालेके खिलाफ ही अिस्तेमाल होते हैं । और जो अहिंसाधर्मका पालन करता है, वह मर कर ही अपनी रक्षा करेगा, मार कर नहीं । स्त्रियोंको द्रौपदीकी तरह विश्वास रखना चाहिये कि झुनकी पवित्रता (यानी मीश्वर) ही झुनकी रक्षा करेगी । मीरवर हममें असके गुणोंके रूपमें रहता है और रक्षा करता है ।" को लिखा : (अन्होंने लिखा था कि मुझे बहुत अकेलापन महसूस होता है, मेरा कोभी झुपयोग नहीं है, वगैरा । जिसके जवावमें): "You are suffering from a subtle pride and diffidence at the same time. How can you feel lonely in the midst of so many human beings everyone of whom demands your service and in whose midst you have thrown in your lot? You are in the midst of books and you will not touch them. You are in the midst of Hindi speaking men and women and you will not speak to them. You are in the midst of workers and you will not throw yourself into the work and make two blades of grass grow where only one was growing yesterday, make two yards of cloth where