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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३७

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आज. का खत आया । जिससे बापूको संतोष हुआ । कलेक्टरने स्वतंत्र रूपमें अन्हें बुलाया था। अन्होंने अपना कांग्रेसी होना जाहिर किया और क्रि भी यह बताया कि संघकी नीति अभी तक सविनय भंग न करनेकी है। असने 'हाजिरी की शतके वारेमें अफसोस जाहिर किया और कहा कि मंघकी नीतिके बारेमें आप पत्र क्यों नहीं लिख देते ?' ...ने कहा कहा जायगा कि सजासे बचनेके लिखे पत्र लिखा है, भिसलिओ मैं पत्र नहीं लिखना चाहता ।' बापूने कहा कि यह बिलकुल सन्तोषजनक बात है। 6 आज खिचड़ी और साग पकाकर यहाँ रसोजीका प्रयोग शुरू किया । बल्लभभाश्रीको तो खूब सन्तोष हुआ ही। निर्लेप रहकर अिनकी अितनी सेवा की जा सके तो बहुत अच्छी बात है । 1 'अनघ' आज पूरा किया । बहुत बढ़िया चीज है। मघकी कथा जातक स्याओंमें है । 'बुद्धलीलासंग्रह ' में धर्मानन्द कोसम्बीने अिस कहानीको मनोरंजक ढंगसे बयान किया है। मगर असे आदर्श सत्याग्रही, कारागृहवासी और सविनय- भंगी ययान करनेका कलामय काम तो मैथिलीशरण बाबुके लिओ ही था। पुरानी कथाको अन्दोंने बहुत सुन्दर स्वरूप दिया है। आज स्टोक्सकी पुस्तक पढ़ते पढ़ते बापू कहने लगे "ग्रेग और अण्ड्रजने असे यह किताब छपवानेकी सलाह क्या ममसकर दी होगी ? जिसके पास कोमी ठोस और बुनियादी चीज देनेको नहीं है, जिसका मन ही अनिश्चित है और जो स्पष्ट विचार बता नहीं सकता, वह भले ही अपनी परेशानियों साफ करनेको कागज पर लिखे, मगर अन्हें पुस्तक रूपमें लिम लिवाये ?" - आज वलीन रेन्चकी तरफसे Fors clavigera (फोर्स क्लेविजेरा)की चार पुस्तक मायीं । यापू अिन्हें देखनेमें लीन हो गये । अनके पीछेकी विषय-सूचीसे आश्चर्यचकित हु और असे देखनेमें आधे घप्टेके लगभग लगा दिया। विषय-सूची देखते देगले करने लगे मिशिवाशियल क्या होगी?" वल्लमभाीने पूछा- "मिमा याभियन्ट यानी ?" यापूने कहा " यानी मिटिश लोगकि लिने पापिल गया?" तो मनमभान तुरन्त जवाब दिया पोण्ट, शिलिंग पुनरमें मनमुन लिया था कि पोट, गिलिंग और पेन्स ही पाशियल है । गल्लममाभी बोले- देख लीजिये, सी सी बाते " -