पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३८३

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शास्त्री जैसोंसे भी बातचीत की होती तो अच्छा था । कोन सोचता होगा कि बापू जिस तरहका कदम झुठायेंगे ? मैं नहीं मानता कि कोमी भी आदमी अिस कार्रवाओकी कल्पना करता होगा।" आजकी रायें पढ़कर बापू कहने लगे " देशमें तो शान्ति ही हो जायगी। थोड़े दिन बोलेंगे और फिर चुप । हाँ, मेरे अपवाससे खलबली हो तो कोन जाने ? और शान्ति हो जाय तो भी क्या आश्चर्य ? लोग बेचारे थके हुओ हैं । हमें अलबत्ता पकावट नहीं आयी है । अिसलिये यहाँ बैठे बैठे बारीक कातते रहते हैं।" बाजरेकी रोटी शुरू की असके असरका जिक्र करते हुओ कहने लगे " मैंने अिसके साथ दूध कभी लिया नहीं, अिसलि कह नहीं सकता । मगर देवगा, जिसका प्रयोग करूँगा।" मैंने कहा अब प्रयोग कब तक करते रहेंगे! २० सितम्बर तककी मियाद है ।" बापू कहने लगे " मुझे तो जिसका खयाल नहीं आता । वह दिन आयेगा तभी अिसका विचार करूँगा। तब तक प्रयोग करते ही रहना है।" मैंने कहा हम शान्त नहीं रह सकते {" बापू यह जानता हूँ। परन्तु मैं शान्त न रह सकूँ, तो मर ही जाझू!" बोले-

सुपरिण्टेण्डेण्ट आकर कहने लगे "जितना ज्यादा तेज कदम ?" बापू योले "दूसरा चारा नहीं था।" उन्होंने शंका की कि शायद होरने ब्रिटिश मंत्रि-मण्डलको खवर ही न दी हो । बापूने कहा " मैं मानता हूँ कि दी होगी । मगर आपका शक सही है, क्योंकि यह आदमी जरूर असा है कि न दे । और खबर लग जाय तो वह कह दे कि असी जरा सी बात पर जो आदमी मरने को तैयार हो गया है, असके बारेमें मंत्रि-मण्डलको क्या तकलीफ दी जाय ? मगर मुझे लगता है कि अमने खपर न दी हो, तो असे अपनी सारी कारगुजारी और अिज्जत गंवा देनी पड़ सकती है ।" सुपरिटेण्डेण्ट - "जिसका असर अिन लोगों पर क्या होगा? यहाँ क्या होगा ?" बापू. कुछ भी न हो! सारे अछूत सम्मिलित मताधिकार माँगे तो भी ये लोग कह सकते हैं कि सदियोंसे कुचला हुआ अल्पमत है, असके लिो मिस मामलेमें न्याय क्या है सो निर्णय दमदी कर सकते हैं। जिसमें उन्हें कुचलनेवालोंको क्या मालूम हो ?” फिर यापूने कश "मेरी जिन्दगी ही भिस तरह बीती है। २५ वर्षसे जिस ढंग में यह जीवन बीता है, अप्स जीवनका फलश यद आग्विरी कदम है । मुझे पता नही या कि जिम कामके लिो प्राणत्याग करना पड़ेगा। मगर यह अक या अद्देश्य है "किर बोले "अमुलमें आरंभ तो ५० साल पहले हुआ या, । -