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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३९६

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." हम अपवासका होना ही मुश्किल बात है! मुन्हे अन्त तक ल लेना है, अिसलिले मित बार कुछ भी करने में पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे। मरना हो तो भले ही मर जाय, देख लेंगे।" यापूका काम तो वैसे ही धूम धड़ाकेसे चल रहा है जैसे कुछ हुआ ही न हो । आज छोटे पढ़े पन्नोंके २२ पत्र हाथों ही लिखे । डाक चही हुभी तो कैसे बर्दास्त हो १ जिनमें से बहुत पत्र तो डॉ० मेहताके मरनेसे पैदा होने चाली परिस्थितिको हल करनेके सिलसिलेमें थे। मगर कोभी कोसी बच्चोंके नाम भी थे। विलायतमें अस्थर मेनन रहती हैं । अनकी सात आठ वर्षकी लड़कीने 'पत्र लिखा था । असके साथ उसकी अंग्रेज सहेलियोंने पत्र लिखे । अक चार बरसकी सहेलीने लिखा कि “मेरी माँ कहती है कि आप बहुत अच्छे आदमी हैं, अिसलिझे हम पत्र लिखते हैं । आप हमें लिखिये 1" दूसरीने लिखा लड़ाी रोकनेके लिओं काम करती हैं, और दीवार-चित्र बनाती हैं। अिस्वर आपका भला करे ।" अिन्हें बापूने लिखा (भिसमें भी वापूका रातदिन चलनेवाला अहिंसाका प्रचार तो था ही): "My Dear Little Friends, "I was delighted to have your sweet notes with funny drawings made by you. You do not mind my sending one note for all of you. After all you are all one in mind, though not in body. Yes, it little children like you who will stop all war. This means that you never quarrel with other boys and girls or among yourselves. You cannot stop big wars, if you carry on little wars yourselves. How I wish I was there to celebrate Nani's and Amma's birth- day. May God bless you'all. My kisses to you all, if you will let me kiss you and Nani will pass on my love to Esther. Won't she?" "प्रिय बालमित्रो, "तुम्हारे मीठे पत्र और मजेदार चित्र देखकर मुझे बड़ा आनंद हुआ। मैं तुम सबको अक ही पत्र लिखें तो कोजी हर्ज तो नहीं ? तुम्हारे शरीर अला अलग हैं, पर मनसे तो तुम सब अक ही हो । यह बात सच है कि तुम्हारे जैसे छोटे बच्चे ही युद्धको बिलकुल बन्द कर सकेंगे । जिसका अर्थ यह है कि तुम्हें आपसमें या दूसरे बच्चोंसे तो हरगिज़ न लड़ना चाहिये । तुम आपसकी छोटी छोटी लड़ाभियाँ बन्द न कर सको, तो बड़ी लड़ाअियाँ कैसे बन्द कर सकोगी ? मेरे जीमें आती है कि नेनी और अम्माके जन्मदिनके अत्सवमें मैं वहाँ ३७७ "