" होता, तो कितना अच्छा होता। ीश्वर तुम सबका भला करे । तुम सबको मेरा चुम्बन, अगर करने दो तो। और नेनी अस्थरको मेरा प्यार पहुँचा दे । क्यों, पहुँचायेगी न ? आज बापू कहने लगे सरकार मुझे विषम स्थितिमें डाल जरूर सकती है । ये लोग मुझे कोी भी कारण बताये विना २० तारीखसे २५-८-३२ पहले ही छोड़ दें और फिर मुझे जो कुछ करना हो करने दें? मुझे लगता है कि यदि २० तारीखसे कुछ दिन पहले छोड़ दें, तो २० तारीखको अपवास करनेके बजाय मैं आन्दोलन चला और बंगालमें भी जा । पर संभव है कि २० तारीखसे पहले छोड़ें तो भी अपवास करना ज्योंका त्यों रहे । कुछ भी हो, हमें अिसी सप्ताह कुछ न कुछ खबर मिल जानी चाहिये । 1 " जरा ठहर कर कहने लगे कुछ भी हो । ये मुझे भले ही विषम स्थितिमें डालना चाहते हों, मगर अनके पासे झुलटे ही पड़ेंगे और हमारे सीधे पड़ेंगे।" कल ही बापूने कहा था असके अनुसार आज सवेरे डोभीलने बापूको बुलवाया, दाँतोंकी बात की और कहा कि अच्छे दाँत लगवाने चाहिये। २६-८-३२ यह आदमी धीरजवाला और अच्छा है । कहने लगा " मैं चाहता हूँ कि आप ये दाँत बहुत वर्षों तक काममें लें। काकाके समाचार सुनाये । अन्हें कपड़े वगैरा सब मिलते हैं, खानेको भी मिलता है। और यह खबर भी दी कि कल यहाँसे गुजरे और आज अहमदाबादमें ' होंगे । बापूसे आग्रह किया कि झुनकी पीठके दर्दके लिओ आप अनसे चरखा छुड़वाअिये । बादमें अपवासकी बात निकली या निकाली । यह भी कहा कि मैं डोीलकी हैसियतसे कह रहा हूँ, सरकारकी तरफसे नहीं । क्या जिसपर फिरसे विचार नहीं किया जा सकता! सरकारके साथ पत्रव्यवहार करके शंकास्पद मुद्दे समझ लीजिये । बापूने कहा " सरकारने रास्ता ही नहीं छोड़ा । मैंने असे छह महीने पहले सूचना दी थी।" वह बोला "कानूनसे जिसमें कुछ फेरबदल कराया जा सकता है, मगर जैसा तेज कदम झुठाकर हमें भी मुश्किलमें क्यों डाल रहे हैं ? मैंने आपका तार असी दिन शामको पहुँचा दिया था और आपको यह खबर देता हूँ कि सारा पत्र दूसरे दिन तारसे विलायत भेज दिया गया था।" वापूने कहा आज सदा से ज्यादा मिठासके साथ बातें करता था : 'आपको जिस मामले में भी मुझे लिखना हो लिखियेगा'। वगैरा वगैरा । शायद झुमका खयाल होगा कि अब कितने दिन रह गये हैं, अिसलि भितनी मिठास दिखाी होगी !" यह कह कर बापू इसे । ३७८
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