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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४०७

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." मेजरके साथ कान्ति अक पत्र बाके लिअ मेजरको दे गया था । बापुको न देकर अन्होंने असे आमी० जी० के पास भेज दिया। हम ३०-८-३२ सबको यह बुरा लगा। अगर नहीं देना था तो न देते, मगर वहाँ किस लि भेजा ? अिसमें किसीकी सरकारके यहाँ भला बननेकी कोशिश हो सकती है या वीसापुरमें मिलनेवाली सुविधाओं के बारेमें खबर देकर किसी कर्मचारीसे वैर निकालनेकी वृत्ति हो सकती है । सुबह मेजरने आकर खुद कहा कि अिस पत्रमें कुछ भी आपत्तिजनक बात नहीं थी, मगर मुझे आभी. जी. कहता है कि मैंने कहीं भी कातनेका काम देनेकी मंजूरी नहीं दी है और कान्ति लिखता है कि वीसापुरमें ११०० आदमी कातते हैं । अिसलिओ मैंने अससे पूछा है कि वीसापुरके लिखे मंजूरी हो, तो यहाँक लिमे अिजाजत क्यों नहीं देते ? मेजरके जाते ही बापू कहने लगे अन्याय ही हुआ था न?" वल्लभभाभीने कहा "मैं जो सोचता था वह सच निकला | अिसने यह कहा अिसलिओ वहाँ कातना बन्द करा देंगे।" बापूने कहा "जिसने अिसलिले नहीं लिया। मैंने यह मानकर कि अिसने वहाँके किसी कर्मचारीके खिलाफ कोअी शिकायत भेजी होगी, जिसके प्रति अन्यायः किया। जिसके लिओ मेरा दिल तो अिससे माफी माँग रहा है।" वल्लभभाभी " खैर, मुझे तो अपना खयाल सही लगता है । औसा जाना गया है कि जब जब दूसरी जेलमें यह मालूम हुआ है कि अक जेलमें कोभी सुविधा मिल रही है और असकी जाँच हुी, तभी वह सुविधा छीन ली गयी है।" बापू मगर यह मांग क्यों न की जाय कि सरकारी तौर पर यह सुविधा अक जगह मिलती हो, तो दूसरी जगहों पर दी जानी चाहिये ?" यह चर्चा काफी लम्बी चली। मगर सार यही है कि बापू जान या अनजानमें किसीके साथ अन्याय करते हैं, तो असकी माफी खुले या दिल ही दिलमें माँग ही लेते हैं। - - अभी अपवासके बारेमें कोी खबर नहीं आयी । बाप्पू कहने लगे "अिन लोगोंक मदकी कोओ हद नहीं है। अिसलिओ अगर ३१-८-३२ वे जिस पर कुछ भी ध्यान न दें तो मुझे आश्चर्य न होगा ।" सी० पी० कहते हैं कि । जब तक कांग्रेस कानून-मंग नहीं छोड़ती, तब तक असके साथ सुलह किस तरह हो सकती है?' और नरम दलवालोंका जिससे वास्ता क्या ? नरम दलवाले तो कानून- मंगके विन्द्र हैं। जेराजाणीकी भतीजीका जेलमें पहुँचनेसे पहले अस्प्लेनेट कोर्टसे लिया हुआ पत्र आया बापू, आग्विर में भी मन्दिरमें पहुंची । आज ही आपका