पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४०६

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. . . सच सच बता दे तो जिसमें बड़प्पन नहीं, सचाभी है। पाँच गज धूचा अपनेको चार गज बताये तो अिसमें नम्रता नहीं, घोर अज्ञान है या फिर दंभ है।" ...के पत्र में लिखा "हमारी स्त्रियाँ निर्विकार :होनेका गुण नहीं सीखतीं । अन्हें पत्नी यनना आता है, बहन बनना नहीं आता । बहन बनने में बड़ी त्यागवृत्तिकी जरूरत है । जो पत्नी बनती है वह पूरी तरह बहन बन ही नहीं सकती । यह मेरे खयालसे तो स्वयंसिद्ध है । सच्ची बहन सारी दुनियाकी बहन हो सकती है । पत्नी अपनेको अक पुरूषके हवाले कर देती है । पत्नीके गुणोंकी जरूरत है, मगर वे सीखने नहीं पड़ते; क्योंकि अनमें विकारोंको शान्ति मिलनेकी गुंजायश है । जगत्की बहन' बननेका गुण मुश्किलसे आता है । जगत्की. बहन तो वही बन सकती है, जिसमें ब्रह्मचर्य स्वाभाविक बन गया हो और सेवाभाव बहुत अँचे दर्जे तक पहुंच गया हो।" कभी कभी अच्छे माँयापके बच्चे खराव और खरावके अच्छे होते हैं, जिसका कारण क्या है ? जिस सवालका जवाब के पत्रमें दिया “ अच्छे संस्कारोंवाले मा-बापकी जाँच कौन कर सकता है ? जब गर्भ रहा तब माँयापकी क्या हालत थी यह कौन कह सकता है ? अिससे मेरा खयाल है कि अच्छोंका फल अच्छा ही होता है, अिस नियमको निरपवाद रूपमें मानते रहनेमें ही सार है । हर वक्त अिस नियमको किसी खास व्यक्तिके बारेमें साबित न कर सके तो भिसमें हमारा अज्ञान हो सकता है, नियमकी अपूर्णता नहीं हो सकती।" दो और प्रश्नोंका अत्तर- देवको मैं मानें तो भी वह गलत नहीं सावित किया जा सकता । दैवका अर्थ है पूर्व कर्मका असर । " वेश्याओंका झुद्धार करनेके लिअ पुरुषोंको पशु बननेसे परहेज करना होगा। जब तक पुरुषके रूपमें हैवान दुनियामें विचरेंगे, तब तक वेवायें भी रहेंगी ही। वेश्या अपना पेशा छोड़ दे और सुधर जाय, तो कुलीन कहलानेवाले लोग अससे जरूर ब्याह कर लें । अक वार वेश्या हुी तो सदा ही वेश्या रहेगी, असा नियम नहीं है।" अिस बारका लेख या विचारपूर्ण कार्य और विचार रहित कार्य। जिसमें पाखानोंकी सफाीका रहस्य विलक्षण ढंगसे समझाया और समझाया कि यह सबसे अच्छा सेवाका काम कैसे हो सकता है । हीरालालको अक पत्रमें बापूने खगोलके 'अध्ययनके बारेमें लिखा । असमें कुछ जैसा ही भाव या ." मैं अपनेको मन्दबुद्धि मानता हूँ। २९-८-३२ बहुतसी बातें समझनेमें मुझे औरोंसे ज्यादा देर लगती है । • परन्तु अिसकी मुझे चिन्ता नहीं । बुद्धिके विकासकी सीमा होती है। हृदयके विकासका अन्त ही नहीं 1" मिस पत्रकी नकल करना रह गया। “