पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मैंने कहा - भूल जाअिये । मेरे बहुत खराव अक्षर मेरी रायका समर्थन करते हैं। मेरे अक्षर गलत शिक्षाका परिणाम हैं।" डॉ० मेहताने लड़कियोंको आजकलके ढंगकी अँची शिक्षा देनेका प्रयत्न किया था; पियानो बजाना सिखानेके लिअ शिक्षक रखे थे, वगैरा बातें कहीं। यह आशा रखी जाती है न कि पियानो बजाना सीखनेवाला पियानो भी रखेगा ?" बापू कहने लगे "जरूर, और अनकी कीमत चार पाँच हजार रुपये तो होती ही है । " दक्षिण अफ्रीकामें मणिलालके लिभे आये हुआ पियानोंकी अपनी बात कही अगर मणिलालने बेचा न हो तो वह पियानो अभी तक फिनिक्समें होना चाहिये । मैंने तो नहीं बेचा था। असने काम ठीक दिया था। प्रार्थनाके की भजन अिसमें निकाले जाते थे। केरान असे बजाता था और वेस्ट और रोयपन वगैरा सबने असका झुपयोग किया था। हुसैन 'है वहारे बाग दुनिया चंद रोज' अस पर बजाता और गाता था और असका सुर जितना मीठा था कि यह कहना मुश्किल हो जाता था कि पियानो बज रहा है या हुसैन गा रहा है ।" - था है आज डाह्याभाभी वल्लभभाभीसे मिल कर गये । अब नारणदासभाभीके पत्रके सिवा ज्यादातर पत्र वापू खुद ही लिख डालते हैं। २-९-३२ दो तीन दिन पहले हीरालालको लिखा अपनेको मन्द बुद्धिवाला मानता हूँ ।" जिस बातका आज के पत्रमें ज्यादा विस्तार किया : 'यह माना जायगा कि मेरे जीवनमें बुद्धिका हाथ थोड़ा ही रहा मैं खुद अपनेको मन्दबुद्धि मानता हूँ। यह बात कि श्रद्धावानको बुद्धि भगवान दे देता है, मेरे बारेमें तो अक्षरशः सच निकली है । मुझमें बड़ों और शानियों के लिओ हमेशा श्रद्धा और आदरका भाव रहा है। और मेरी सबसे अधिक श्रद्धा सत्यके प्रति रही है, अिसलि मेरा रास्ता हमेशा मुश्किल होने पर भी आसान लगा है। को लिखा यह विश्वास रख कि कैसा भी राक्षसी आदमी चढ़ कर आ जाय तो भी असका मुकाबला करनेकी ताकत भीश्वर तुझे दे ही देगा । जरा भी डरना नहीं । जैसी नौबत आ जाय तब जितना जोर हो सब निकाल लेना । जिसका नाम हिंसा नहीं है । चूहा बिल्लीकी हिंसा कर ही नहीं सकता, मगर चूहा सोच ले तो बिल्ली असे जीते जी नहीं खा सकती। अिस तरहसे बिल्लीके मुँहसे निकल जानेवाला चूहा विल्लीकी हिंसा नहीं करता। क्या यह समझमें आता है ? यह याद रख कि व्यभिचारी पुरुष इमेशा कायर होता $6