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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४२

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- - मैंने कहा 'मैं वागी हूँ, मैं बागी हूँ ।' प्रसंग आये और आप कहें तब तो ठीक है । मगर हमेशा अिसकी जरूरत नहीं है।". . .ने जवाब दिया था " कौन जाने, कभी हम अपने सिद्धान्तोंसे डिग जाय तो हमें याद दिलानेके लिअ काम आयें । अिसलि सुनका रटन करते रहना अच्छा है।" यह बात कहकर बापूने कहा यह तो वही बात हुी जैसे वह कुमुद गाती थी- 'प्रमादधन मुज साचा स्वामी, ये विण अप्रिय सर्व वीजु ।' प्रमादधनके लिझे जरा भी भावना नहीं थी, अिसलिझे रटन करके भावना पैदा करने लगी!" अिस परसे गोवर्धनराम पर बातें चली । बापू कहने लगे " पहले भागमें अन्होंने अपनी शक्ति अँडेली । झुपन्यासका रस पहलेमें भरा है। चरित्र चित्रण मुसके जैसा और कहीं नहीं। दूसरेमें हिन्दू संसारका बढ़िया चित्र है। तीसरेमें सुनकी कला जाती रही और चौधेमें अन्हें यह खयाल हुआ कि अब मुझे दुनियाको जो कुछ देना है, वह अिस पुस्तक द्वारा ही दे दूं तो कैसा अच्छा।" ." सुनमें छोटी कहानियाँ लिखनेकी कला नहीं थी । अन्होंने लिखी ही नहीं । मगर लिखना चाहते तो भी न लिख पाते । यह कला और साथ ही साथ अपन्यासकी कला टैगोरने साधी थी।" बापू बोले -- “टैगोरकी क्या बात ! अन्होंने क्या नहीं साधा ? साहित्यका अक भी क्षेत्र अन्होंने छोड़ा है ! और सबमें कमाल -जैसी अलौकिक शक्तिवाला आदमी हमारे यहाँ तो है ही नहीं, लेकिन दुनिया में भी होगा या नहीं, जिसमें मुझे शक है ।" : . . फिर वल्लभभाी बोले मगर सुनका शान्तिनिकेतन चलेगा ? वे तो वृष्टे हो गये और सुनकी जगह लेनेवाला कोी रहा नहीं ।" बापूने कहा "बात तो जरूर मुस्किल है । मगर यह तो कैसे कहा जा सकता है ! भगवानने जितनी असाधारण प्रतिभावाला आदमी पैदा किया, तो उसे यह तो मंजूर नहीं होगा कि असका काम यों ही बन्द हो जाय ।" वल्लभभाभी कहने लगे " यह तो ठीक है । मगर अनकी जो असाधारणतायें हैं, अन सबको कौन किस क्षेत्रमें ला सकेगा ?" मैंने कहा- " नन्दलाल बोस, असित इलघर-जैसे अत्तम चित्रकार वहाँ मौजूद हैं । विधुशेखर शास्त्री भी हैं।" वल्लभमाी बोले - "चित्रकला तो ठीक है। मगर असकी पाठशालायें कितनी चल सकती हैं ? हमारा तो खादी , और चरखा है । असके लिझे बापू थोड़े ही चाहिये ? ये तो बापू न होंगे तो दूधाभासी भी आकर चलाते रहेंगे । अन्होंने कोभी जैसी चीज नहीं दी, जिसे लोग अपने हाथों में ले सके और जो अखंड रूपमें चलती ही रहे ।" "अक महात्मा कहते थे कि गांधीजीकी सब बातें लोग भूल जायँगे, तब भी खादी और मद्यनिषेध हमेशा रहेंगे।" - - मैंने कहा