पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

- 66 बापू "जिसका कारण यह है कि यह साधारण लोगोंको पसन्द है और अिसे मामूलीसे मामूली आदमी भी चलाता रह सकता है।" अिस मौके पर मेरे मनमें अनेक विचार आये और चले गये । 'बापूके बाद आश्रमको चलानेवाला कौन है ? आश्रमके असिधारा व्रतोंके पालनके लिओ हमेशा पीछे पड़नेवाले और दिनरात अनके वारेमें जाग्रत रहनेको कहनेवाले कौन हैं ? अनेक प्रकृतियोंवाले, अनेक प्रदेशोंके, अनेक रुचियों और शक्तियोंवाले स्त्री-पुरुषों और बच्चोंवाले हमारे आश्रमके परिवारको वापूके बाद कोन चलावेगा ? अीश्वर । अहिंसा और सत्यमें श्रद्धा रखनेवाले और अनके लिओ मरनेवाले अज्ञात मनुष्य अितने ज्यादा मौजूद हैं कि हमारी अपनी कमीके बावजूद अविश्वासके लिओ स्थान नहीं रहता ।' मैंने तुरन्त कहा- "टैगोरके बारेमें यह कहा जा सकता है कि आज तक अनके यहाँ असाधारण प्रतिभावाले लोग खिंचकर न आये हों, तो शायद अब अनके कामको जारी रखनेके लिो वे आ जाय । शान्तिनिकेतनको सुनके आदर्शक अनुसार ही जारी रखनेके लिअ नये आदमी क्यों न शरीक होंगे?" बापूने कहा "ठीक है । आज झुनकी प्रचण्ड शक्तिसे ज्यादा लोग आकर्षित न हों, तो भविष्यमें आकर्षित हो सकते हैं। आज भी रामानन्द चटर्जी- जैसे लोग तो हैं ही, और ीश्वरकृपा हो तो और लोग भी आ सकते हैं । और अनका श्रीनिकेतनका काम तो जारी ही रहेगा । अमहट जैसा आदमी विलायत छोड़कर अिसे चलानेके लिअ चला आये, तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा।" वल्लभभाभी मगर मुझे यह तो पक्का भरोसा है कि हमारा काम चलता रहेगा। जिसमें ज्यादा सोचने समझनेकी बात जो नहीं है !" बापूने कहा- देवदासने 'लीडर में कातनेके बारेमें जो मार्मिक वाक्य लिखा था, वह मुझे याद आता है ~~ It is too simple to command attention and belief. चरखेकी बात अितनी ज्यादा सादी है कि लोगोंका ध्यान और श्रद्धा खींच नहीं सकती । पता नहीं कैसे, महेरबाबाकी बात चली । बापू कहने लगे आदमी हैं । वह किसीको ढूँढ़ने नहीं जाते, मगर लोग झुनके पास चले आते हैं, रुपया चला आता है। विलायतसे किसी स्टारने बुलाया तो चले गये। अमरीकासे धनवानोंने अन्हें बुलाया तो चले गये । और सुनका असर क्यों न पड़े ? सात वर्षसे मौन, और फिर भी कोजी पागल नहीं, जितनी सी बात भी लोगोंको आकर्पित करनेके लिअ काफी है।" ." वह जबरदस्त ।