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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४२७

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४७६ प्रार्थना-प्रवचन यह गुण है कि हिंसा भी वही करे और अहिंसा भी वही ? वह निर्गुण है और गुणातीत है। उसके लिए ये सब चीजें कुछ नहीं। लेकिन यह दृष्टांत तो ऐसा है कि जितने रावण इस दुनियामें हैं उनका संहार करनेवाला केवल ईश्वर ही है। कुछ लोग ऐसा भी मान लेते हैं कि विजयादशमी तो यह सिखाती है कि वे तो पूर्ण और दूसरे अपूर्ण है। इसलिए कानून- को अपने हाथमें लेकर अपने-आप बादशाह बन जाते हैं और किसीपर आघात करना और किसीको कत्ल करना, यह सब करने लगते हैं। वह हिंदुस्तानमें हो भी रहा है; क्योंकि हम पागल हो गए हैं। जो जवाब मैंने दिया है उसको आप लोग तथा जिस भाईने प्रश्न पूछा है, वह भी समझ गए होंगे कि राम-रावगका दृष्टांत लेकर हम पापाचारी न बनें। हमें पुण्यवान बनना चाहिए। एक ओर रामका नाम लेना और दूसरी ओर पापाचारी बनना, ईश्वरकी निंदा करना है। अभी आप लोगोंमेंसे पूछ सकते हैं कि तुम इतनी लंबी-चौड़ी बातें तो करते हो, लेकिन काश्मीरमें जो कुछ हो रहा है उसका भी कुछ पता है ? हां, पता है मुझको। लेकिन इतना पता है जितना कि अख- वारोंमें आया है। अगर वह सब सही है तो वह एक बहुत बुरी बात है। यह मैं कह सकता हूं कि इस तरह तो न धर्मकी रक्षा हो सकती- है और न कर्मकी । उसमें इल्जाम तो पाकिस्तानपर ही लगाया गया है न, कि वह काश्मीरको मजबूर करनेकी चेष्टा कर रहा है। वह होना नहीं चाहिए। अगर कोई किसीको इसलिए मजबूर करे कि उसके पाससे कुछ ले ले; तो वह हो नहीं सकता, इसमें तो मुझे जरा भी संदेह नहीं है। आज तो काश्मीर है, पीछे हो सकता है कि हैदरावादको मजबूर करो, जूनागढ़को करो या किसी और रियासतको। मैं कोई न्यायकी तुलना करना नहीं चाहता; लेकिन मैं तो एक उसूल मानकर चलता हूं कि कोई किसीको मजबूर नहीं कर सकता। पीछे, चाहे उसमें कुछ भी हो, मुझको तो कोई परवाह नहीं, चाहे काश्मीर हो, हैदराबाद हो या जूनागढ़ हो । कोई किसीको मजबूर न करे और किसीके साथ जबर्दस्ती न करे। लेकिन पाजकी दुनियामें जो काश्मीरके महाराजा हैं, वे वहांके राजा नहीं हैं, यह बड़े अदवके साथ कहना पड़ता है। दूसरी