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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/६०

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खाओं और खूब बहानेवाजियाँ की, पर वह अपने पुराने धर्म पर हक्तासे डटा रहा और विचलित नहीं हुआ। वह प्रेमी पिता और वफादार पति था । राजके रोजमर्रा के काम काजका ढचरा चलानेमें और भूबानेवाला काम करनेमें असे थकावट महसूस नहीं हुी । अितिहास असे अन अभागे राजाओंमेंसे अकके रूपमें याद करेगा, जो शांतिके समय शांतिपूर्वक हुक्मत करनेके लिने पैदा होते हैं और जिनके शुभ हेतु अदम्य ताकतोंके अत्पातके सामने बेकार हो जाते हैं।" रूसी प्रजा कितनी धार्मिक है, जिसके चित्र होरने काफी दिये हैं " मन्दिरमें रोजकी तरह खूब भीड़ थी । देवपूजाके दिये जल रहे थे । अिसके सिवा सब जगह अंधेरा था | मगर प्रार्थना शुरू होते ही सबने अपनी अपनी मोमबत्तियाँ सुलगा ली। जॅनी और मेरे सिवा दूसरे किसीके पास बाअिवल नहीं थी। अितनी भीड़में चारपाँच घण्टे तक लोग किस तरह खड़े रह सकते थे, जिसकी कल्पना करना मुश्किल है । अक अरथीके आसपास खड़े खड़े सब प्रार्थना कर रहे थे। फिर वह रूसके पुराने भावुक ीसाधियोंका जिक्र करते हु अक किसानका वर्णन करता है। "पासकी दुकानसे असने अक ही भजनावली खरीदी । वह तरह तरहकी भजनावलियों, सन्तोंके आशीर्वचन और शापवचनोंसे भरी हुी थी । फरिश्तों और भूतोंके विचित्र चित्र भी खूब थे। पुस्तकें चमड़ेकी जिल्दवाली और झुठावदार थीं । रंग और छपाीमें ऑक्सफोर्ड और केम्ब्रिजके छापेखानोंको मात करनेवाली थीं। और कीमतें भी भारी थीं। भेड़के चमड़ेके कोटवाला अक किसान दुकानमें घुसा और संतवाणीकी दो पुस्तकें खरीदनेके लिभे असने पचास रुबल निकाले । यह देखकर मैं तो हक्का बक्का रह गया । मैंने असे जरा बातोंमें लगाया, तो असने कहा कि दो सुन्दर सचित्र पुस्तकें खरीदनेके लिझे वह बहुत वर्षोंसे रुपया जमा करता रहा है । रूसके अक सिरेसे दूसरे सिरे तक बिलकुल भोली श्रद्धावाले और कर्मठ धर्मका कड़ाीसे पालन करनेवाले जैसे करोड़ों भावुक स्त्री-पुरुष मौजूद हैं।" केप्टन कोनी और अॅडमिरल कोलचेकके चित्र जीवनसे लबालब हैं । असकी जापानमें जीती हुी तलवार जब बोल्शेविक अससे लेने जाते हैं और वह असे समुद्रमें फेंक देता है, तबका वर्णन और असकी मौतका हाल बड़ा पढ़ने लायक है । नाटकका अंतिम अंक अिर्कुट्स्कमें खेला गया था । बोल्लोविकोंने वहाँ मुकदमा चलानेका तमाशा किया। जिन गवाहोंकी शहादत ली गयी है, असका हाल मैं अहाँके शन्दोंमें दूंगा : "... अपरकी अदालतकी जाँचमें जजको पूछा गया 'आपके सामने गवाही देते समय असके चेहरेके भाव कैसे थे'