पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/८५

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इर सालका आँकड़ा तय कर लिया जाय । असके मुताबिक घर बैठे रुपया आये तो संस्था चलाी जाय । न आये तो बन्द कर दी जाय। तुम्हारी संस्था तो बहुत पुरानी कही जायगी । असका पिछला अितिहास अज्ज्वल है । अच्छे शिक्षक हैं। जितना होने पर भी लोगोंमें श्रद्धा पैदा क्यों न हो ? अपना सारा साहस मीश्वरके अर्पण करके असके नाम पर संकल्प करो। असकी मरजी होगी तो वह संस्था चलायेगा। 'हरिने भजता हजी कोअीनी लाज जता नथी जाणी रे ।' यह भजन आज शामकी प्रार्थनामें गाया था। अक लड़कीको लिखे हुओ मेरे पत्रसे असकी याद आयी । तुम लिखते हो कि वल्लभभाी होते या मैं होता तो यह परेशानी तुम्हें न सताती । परेशानी है कहाँ ? और है तो असे मिटानेवाले कौन ? अंधा अंवेको क्या रास्ता बताये ? लेकिन परेशानी मानते हो तो वह भी असीकी गोदमें डाल दो । अिन सब बातोंको पाण्डित्य समझ कर फेंक न देना । परन्तु अिन पर अमल करना । अक ओवरसियर पृछते हैं कि क्या आप परमधाम पहुँच गये हैं और श्रीश्वरके दर्शन कर चुके हैं ? असे भी बापूने जवाब दिया : “I have your letter. I am unable to say that I have reached my destination. I fear I have much distance to " cover ... 6 . आपका पत्र मिला । मैं यह नहीं कह सकता कि अपने लक्ष्य तक पहुँच गया हूँ । अभी मुझे बहुत फासला तय करना है. . . . " अषा' मासिकमें. वैद्यका चावल पर अक लेख था। वल्लभ- भाभीने ध्यानसे पढ़ लिया और वापसे कहने लगे “ देखिये आप हमारे चावल खानेके बारेमें नुकताचीनी करते हैं, मगर चावलमें तो अितने तत्व हैं। अितने ज्यादा गुण हैं ।" बापू हँसे और बोले "हाँ, भाजी हाँ।" फिर मैंने अकके बाद अक असके गुण पढ़कर सुनाने शुरू किये। बापू हर अेकका खण्डन करते जाते थे। “चावलका प्रोटीन और किसी भी प्रोटीनसे वड़िया है।" बापूने कहा मगर असमें प्रोटीन है ही कितना ? बहुत ही कम है, क्या अिसलिओ अत्कृष्ट हो गया ?" Herald of Health (आरोग्यका छड़ीदार )मेसे वैद्यने यह मुद्दा लिया है, अिसलिमे वापूको हँसी आ गयी : बेचारा ठिंगने कदका भातखा जापानी प्रशान्त महासागरमें नाव चलाता हो, पनामाके जलडमरुमध्यकी नहर खोदता हो, मंचूरियाकी बर्फमें रूसके साथ लड़ता हो या अपनी जमीनमें हल चलाता हो, तो वह आलू और मांस खानेवाले अंग्रेज या. अमरीकीसे किमी भी तरह घटिया साबित होनेवाला नहीं है।" बापूने कहा : वैद्य जैसी झूठी बातें करें, तो कैसे काम चल सकता है ! यह कितना << ७८