पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/११७

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  • भारतीय युद्धका समय 8

- मुखाई हुई ईटों पर लिखे हुए लेख, मिल है कि मोटे हिसाबसे राजाओंकी एकपीढ़ी- रहे हैं उनसे संसारको ये बातें सत्य में कितने वर्ष लगते हैं। यह ऐतिहासिक मालूम होने लगी हैं। हमारे कहनेका सिद्धान्त है कि प्रत्येक राजाकी पीड़ीके तात्पर्य यही है, कि मेगास्थिनीज़के द्वारा लिये औसत २० वर्ष पड़ते हैं। इस सावधानीके साथ लिखी हुई बातें विश्व सिद्धान्तके अनुसार श्रीकृष्णसे चन्द्रगुप्त सनीय हैं। इस बातमें कुछ भी सन्देह तक मोटे हिसाबसे १३० x २० % २७६० नहीं है, कि प्राचीन कालके अन्य देशोंके वर्ष हुए। यह निश्चित हो चुका है कि समान, हिन्दुस्थानमें राजाओंकी वंशावलो चन्द्रगुप्तका समय ईसवी सन्के पूर्व ३१२ और प्रत्येक राजाके राज्य करनेका समय वर्ष था। इस हिसाबसे श्रीकृष्णका समय दोनों सावधानता पूर्वक लिखकर सुरक्षित सन् ईसवीके ३०३२ वर्ष पहले निश्चित रखे जाते थे। प्राचीन समयमें कोई खास होता है। इस समयके ऐतिहासिक होने सम्वत् प्रचलित न था, अतएव राजाओं के विषयमें हमें यह दृढ़ प्रमाण मिलता की वंशावली और उनके शासनकाल ही है, कि यह समय कलियुगके प्रारम्भ-काल- समय नापनेके साधन थे। इसी लिये का निकटवर्ती समय है। वंशावलियाँ सुरक्षित रखी जाती थीं। छान्दोग्य उपनिष में श्रीकृष्णका सारांश यह है कि मेगास्थिनीज़की बत- : उल्लेख "कृष्णाय देवकोपुत्राय". किया लाई हुई पीढ़ियोंकी संख्या इतिहासकी गया है । भगवद्गीतामें “वेदानां सामवेदो. दृष्टिसे मानी जाने योग्य और विश्वस- ऽस्मि" इस वाक्यसे श्रीकृष्णने सामवेदके नीय साधन हैं। मेगास्थिनीज़ने जिस संड्रा- साथ अपना तादात्म्य प्रकट किया है। कोटसका उल्लेख किया है वह ऐतिहासिक इससे यह पाया जाता कि सामवेदके चन्द्रगुप्त है । हम निश्चयके साथ यह नहीं छान्दोग्य उपनिषद् श्रीकृष्णका उल्लेख बतला सकते कि ये पीढ़ियाँ जिस डाया- स्वाभाविक है । श्रीकृष्णका समय निसाससे गिनी गई हैं, वह कौन है। छान्दोग्य उपनिषद्के बहुत पहले होगा.। परन्तु हम पहले बतला चुके हैं कि हिरा- यद्यपि निश्चयके साथ नहीं बतलाया क्लीजकेमानी हरि अथवा श्रीकृष्ण ही हैं। जा सकता कि छान्दोग्य उपनिषद का मेगास्थिनीज़ने लिखा है कि शौरसेनी लोग बना, तथापि भाषाके प्रमाणसे मालूम हिरालीज़की भक्ति करते थे और उनका होता है कि वह दशोपनिषदोंमेंसे अत्यन्त मुख्य शहर मथुरा था। इस वर्णनसे । प्राचीन उपनिषद् है । यह स्पष्ट है कि निश्चयके साथ यह सिद्ध होता है कि साधारणतः इन उपनिषदोंके समयको हिराक्लीज़ श्रीकृष्णका ही नाम था । डाया- वेदांगोंके समयके पहले मानना चाहिये। निसास्से हिराक्लीज़तक १५ पीढ़ियाँ वेदांगोमेसे वेदांग ज्योतिषका समय हुई। उसको घटा देने पर, मेगास्थिनीज़के निश्चयके साथ बतलाया जा सकता है। दिये हुए वर्णनसे हमें ज्ञात होता है कि शंकर बालकृष्ण दीक्षितने अपने भारतीय हिरालीजसे चन्द्रगुप्ततक १५३-१५ = १३ ज्योतिषशास्त्रके इतिहासमें, बेदांग ज्यो- पीड़ियाँ हुई । मेगास्थिनीजन यह नहीं तिषका समय. सन् ईसवीसे पूर्व लगमन बतलाया है कि इतनी पीढ़ियों में कितने १४१० वर्ष ठहराया है। अर्थात्, छान्दो- वर्ष व्यतीत हुए । तथापि संसारके इति- ग्योपनिषद्के समयको इसके पूर्व और हासको देखनसे यह बतलाया जा सकता श्रीकृष्ण के समयको उसके भी पूर्व मानना