पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/११८

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महाभारतमीमांसा

महाभारतमीमांसा चाहिये । इस प्रमाणसे यह अनुमान होता पहले युधिष्ठिर-संवत् क्या, कोई संवत् है कि श्रीकृष्णका जो समय ऊपर बत- प्रचलित न था। परन्तु हम पहले बतला लाया गया है वह ठीक है। और यह कहा चुके हैं कि उस समय हिन्दुस्थानमें जा सकता है कि भारतीय युद्ध उसी वंशावली रहती थी; अर्थात् यह बात समय हुआ। लिखकर रख ली जाती थी कि अमुक वंशमें अमुक अमुक राजा अमुक वर्षतक .. कलियुगका प्रारम्भ । राज्य करते थे। ऐसी दशामें कह सकते हैं ____ अब हम कलियुगके प्रारम्भकालका कि युधिष्ठिरके बादकी वंशावली, राजाओ- विचार करेंगे। हम पहले देख चुके हैं, | के शासन-काल समेत, अवश्य प्रचलित कि भारतीय युद्ध और कलियुगारम्भका रही होगी। इस प्रकारकी वंशावलीके समय एक ही है। हम यह भी देख चुके, आधारपर सन् ईसवीके प्रारम्भमें, जब कि कलियगका श्रारम्भ कब हा सिद्धान्तस्वरूप यगपद्धति स्थिर हो गई हिन्दुस्थानके समस्त ज्योतिषियों के मतानु- तब, श्रार्य ज्योतिषकारोंने यह निश्चित सार कलियुगका प्रारम्भ सन ईसवीस किया कि युधिष्टिरको इतने वर्ष हो चुके। पूर्व ३१०१ वर्ष में हुआ । श्राजकलके क्योंकि उस समयके पहले ३०० वर्षसे हर एक पंचांगमें यही समय दिया हुश्रा महाभारत स्पष्ट रीतिसे यह बतला रहा है। शक १-३८ के पंचांगमं यह लिखा था, कि समस्त आस्तिक हिन्दुओंको यही हुआ मिलेगा कि कलियुगको ५०१७ समझ थी, कि कलियुगका प्रारम्भ, भार- वर्ष हो गये। इससे स्पष्ट मालूम होता तीय युद्ध और युधिष्ठिरका राज्यारोहण है कि पंचांगोंमें यह समय आर्यभट्ट, एक ही समयमें हुआ। इस प्रकार पहले ब्रह्मगुप्त, वराहमिहिर इत्यादि ज्योति- नूतन सिद्धान्तकार आर्यभट्टने, कलियुगके षियोंके समयसे लिखा जाता है। इस प्रारम्भका समय ईसवी सनसे पूर्व ३१०१ बातमें सन्देह है कि इनके पहले यही वर्ष ( शक सम्वत्से पूर्व ३१७८ वर्ष) समय लिखा जाता था या नहीं । यदि बतलाया। प्रति वर्ष लोगोंको यह मालूम हो जाता। कुछ लोगोंका मत है कि कलियुगका था कि कलियुगको इतने वर्ष हो गये, श्रारम्भ इस तरहस दन्तकथा अथवा तो इन ज्योतिषियोंके पहलके किसी राजाओंकी वंशवालीके आधार पर नहीं ग्रन्थमें इस समयका उल्लेख अघश्य | बतलाया गया है-उसे आर्यभट्टन होना चाहिये । अभाग्यवश अभीतक गणितसे कायम किया है। परन्तु यह मत ऐसा कोई उल्लेख नहीं मिला है। तब टिक नहीं सकता । शंकर बालकृष्ण प्रश्न है कि आर्य भट्ट आदि ज्योतिषियोंने दीक्षितका भी यही मत है; परन्तु उनका किस आधार पर यह समय बतलाया किया हुआ विवेचन उनके अन्य मतोंके है? इस सम्बन्धमें दो मत हो सकते हैं। विरुद्ध हो जाता है। गणितसे कलियुगका एक मत यह है कि यह समय लोगोंको प्रारम्भ जाननेके लिये क्या साधन था ? दन्तकथासे मालूम था: अर्थात् यह कहा| यह नहीं मालूम होता कि महाभारतके जा सकता है कि उन्हें युधिष्ठिर-संवन् युद्ध-कालमें अमुक ग्रह अमुक नक्षत्र पर मालूम था। हमारा मत यह है कि सन् थे, इस प्रकारके विधानको लेकर उसके ईसवीके पहले, अथवा शक-संवत्कं 'आधार पर गणितके द्वारा यह समय