पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१२५

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में भारतीय युद्धका समय * पहले हमने जो कल्पना की है वही "महानंदिकी शुद्रा रानीसे उत्पन्न महा- सम्भव दिखाई पड़ती है । गर्गने यह पानन्द नामक पुत्र परशुरामकी नाई लिखा होगा कि उसके समयके (अर्थात् सब क्षत्रियोंका नाश करेगा। उसके शक पूर्व) किसी प्रसिद्ध राजातक सुमाली आदि नामोंके ५ लड़के होंगे और युधिष्ठिरको हुए २५२६ वर्ष बीत चुके। वे महाप के बाद राज्य करेंगे। महापन और, हज़ार वर्षके बाद वराहमिहिरको, और उसके आठ लड़के सौ वर्षांतक भूलसे, यह भ्रम हो गया कि वह शक- राज्य करेंगे। इन नन्दोको कौटिल्य नामक काल ही है, जिसके कारण उसे गर्गका ब्राह्मण राज्य-भ्रष्ट करेगा और चन्द्रगुप्तः वचन समझकर उसने यह शक-कालयुक्त को राज्यपर अभिषिक्त करेगा।" इसके युधिष्ठिरका समय बतलाया होगा। चाहे आगे जो श्लोक है वह यह है:- बात जो हो, अन्य ज्योतिषियोंके मतके | यावत्परीक्षितो जन्म यावन्नन्दाभिषेचनम् । विरुद्ध और विशेषतः स्वयं महाभारतके एतवर्षसहनं तु शेयं पंचदशोत्तरम् ॥ वचनके विरुद्ध अकेले वराहमिहिरके इसी प्रकारका श्लोक भागवतमें भी पचनको मान्यता नहीं दी जा सकती है। परन्त उसमें "शतं पंचदशोसरम" पुराणों में दी हुई पीढ़ियाँ | पाठ है। इस श्लोकमें यह वर्णन है कि परी. क्षितके जन्मसे नन्दके अभिषेकतक १०१५ भ्रमपूर्ण हैं। वर्ष हुए। भागवतमें कहा गया है कि • अब हम भारतीय-युद्धके समयके १९१५ वर्ष हुए। परीक्षितका अन्म भार- सम्बन्धमें बतलाये हुए तीसरे मत पर नीय-युद्धके अनन्तर ३-४ महीनों में ही विचार करेंगे । महाभारतके वचनके अनु- हुआ था: अर्थात् परीक्षितके जन्मका और कूल कलियुगके श्रारम्भमें भारतीय-युद्ध-भारतीय-युद्धका समय बहुत करके एक का होना मानकर, गजाओंकी वंशावली ही है। भारतीय-युद्धसे नन्दोतक १०१५ अथवा प्राचीन प्रचलित परम्पगके आधार वर्ष और नी नन्दोंके १०० वर्ष मिलाकर पर, सब ज्योतिषियाने सन ईसवीके चन्द्रगुप्ततक १९१५ वर्ष होते हैं। चन्द्र- पहले ३१०१ वर्षको भारतीय-युद्ध का समय गुप्तका समय सन् ईसवीके ३१२ वर्ष बतलाया है। इस समयकी पुष्टि में मेगास्थि- पहले निश्चित किया गया है। इससे भार- मीज़ द्वारा बतलाई हुई पीढ़िोसे और भी तीय-युद्धका समय सन् ईसवीके १११५ + अधिक दृढ़ प्रमाण मिलता है । परन्तु वर्त- ३१२१४२७ वर्ष पहले आता है। भाग- मान समयके बहुतेरे विद्वानोंने, उम समय- वतके मतानुसार इसमें १०० वर्ष और के विरुद्ध, भारतीय-युद्धका समय ईसवी जोड़ना चाहिये; यानी भागवत्के मतानु- सन्के लगभग १४०० वर्ष पहले बतलाया सार यह समय सन् सिबीके १५२७ वर्ष है । अब हम इसीका विचार करेंगे । कुछ | पहले होता है। हमारा मत है कि विष्णु- पाश्चात्य विछान् उस समयको इससे भी पुराणमें बतलाया हुश्रा यह समय मानने अर्वाचीन कालकी ओर घसीटते हैं, परन्तु योग्य नहीं है । ऊपर दिया हुआ वचन दोनोंका मूल आधार एक ही है। इस विष्णुपुराणके चौथे अंशके २४ वें अध्याय- समयको निश्चित करनेके लिये मुख्यतः का है। परन्तु वह २३वें अध्यायमें बतलाई विष्णुपुराणके आधार पर प्रयत्न किया हुई बातके विरुद्ध है । मगधमें जरासंध गया है । इस पुणगामें कहा गया है कि पानघकालीन गजा था । जगसंध