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पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१२६

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महाभारतमीमांसा
  • महाभारतमीमांसा #

बाप वृहद्रथने इस बंशको स्थापना की सार प्रत्येक देशमें राजवंशावली साव- थी इसलिये उसके वंशका "बाहद्रथ वंश" धानीसे लिखी जाती थी। पुराणोंके हाल- नाम पड़ा। इस वंशकी गणना जरासंध के स्वरूपका समय सन् ईसवीके बाद के पुत्र सहदेवसे प्रारम्भ की जाती है। तीन चार शतकोंसे पाठवें शतकतक है, यह भारतीय युद्धमें पाण्डवोंकी ओरसे क्योंकि कुछ पुराणों में आन्ध्रभृत्य वंशतक- लड़ता था। विष्णुपुराणके चौथे अंशके की बातें और कुछमें काकटीय यक्लनक- २३ वें अध्यायमें कहा गया है कि ये बाह- ' की बातें दी हुई हैं। इन वंशोंके सम्बन्ध इथ-वंशी राजा मगध एक हजार वर्षों की बातें प्रायः सब पुराणों में एक समान तक राज्य करेंगे। इसके बाद कहा गया है। जिस समय ये पुराण आजकल के है कि "प्रद्योत वंश" १३८ वर्षांतक राज्य : स्वरूपमें आये, उस समय ये भविष्य- करेगा। इसके बाद "शिशुनाग वंश" सम्बन्धी अध्याय जोड़ दिये गये: परन्तु ३६२ वर्ष राज्य करेगा। अर्थात्, महापद्म- यह स्पष्ट कहना पड़ता है कि इन वंशा- नन्द और उसके पाठ पुत्रों के पहले, सह- ' ध्याय जोड़नेवालोको इन वंशांके सम्बन्ध- देवके समयसे, १०००+१३+३६२ % की बातें अच्छी तरहसे मालूम न थीं। १५०० वर्ष होते हैं। तो फिर २४वें अध्याय- मालूम होता है कि पुराणकारीको प्रद्योत में जो यह कहा गया है कि भारतीय युद्ध- वंशसे मगधका इतिहास अच्छे विश्वस- से.१०.१५ वर्ष होते हैं, उसका क्या अर्थ है ? नीय रूपसे मिल गया था: परन्तु उसके इसलिये विष्णुपुराणके २४ वें अध्यायका | पहलेका इतिहास तथा पहलेकी वंशावली उक्त वचन बिलकुल मानने योग्य नहीं है। विश्वसनीय रूपसे नहीं मिली। उन्होंने दूसरी बात यह है कि पुराणों में प्रद्योत वंशके पहले केवल एक बार्हद्रथ भविष्यरूपसे जो बातें बतलाई गई हैं, वंशका उल्लेख किया है और उसकी वर्ष- उनमें एक बड़ा दोष है । पुगणकागेंने संख्या १००० वर्ष रख दी है । इससे विस्तारपूर्वक इस प्रकारका भविष्य स्पष्ट मालूम होता है कि उत्तरकालीन लिखा है कि अमुक वंशका अमुक राजा पुराणकारोंको प्रद्योत वंशके पहलेकी इतने वर्षोंतक राज्य करेगा। यह भविष्य ! बातें मालूम न हो सकी। इसी कारणसे उस वंशके हो जानेके बाद लिखा गया : उनकी दी हुई बातोंमें और चन्द्रगुप्तके होगा । प्रायः सय पुराणों में इस प्रकारका समयमें मेगास्थिनीज़के द्वारा बतलाई हुई भविष्य बतलाया गया है। पुगण बहुधा बातोंमें आकाश-पातालका अन्तर परीक्षित तथा जनमेजयको सुनाये गये पड गया है। प्रद्योत-वंशसे उत्तरकालीन थे। इसलिये परीक्षितके समयसे जिस वंशोंके सम्बन्धकी बातें बौद्ध-ग्रन्थों में भी समयतक पुराणोकी रचना हुई होगी, पाई जाती थी । बल्कि, पार्गिटर साहब- उस समयतककी वंशावली उनमें बहुधा का कथन है कि, ये बातें पुराणों में बौद्ध- भविष्यरूपसे बतलाई गई होगी। इस । ग्रन्थोसे ही ली गई हैं। चाहे ये बातें भविष्य-वर्णनमें राजाओंको पीढ़ियाँ, उनके कहीसे ली गई हों, परन्तु प्रद्योत वंश- नाम, उनके राज्य-कालकी वर्ष-संख्या के पहलेकी बातें विश्वसनीय नहीं हैं, और समन वंशकी वर्ष-संख्या दी गई है। क्योंकि उनकी वर्ष-संख्या अन्दाज़से १००० इलसे, कमसे कम, इतना तो निश्चयपूर्वक रख दी गई है । हमारा अनुमान है सिद्ध होता है, कि हमारे पूर्ष-कथनानु- कि इस समयके सम्बन्धकी बातें पुराण-