- भारतीय युद्धका समय *
कारोंके समयमें नष्ट हो गई होंगी। पहले-१२०० दिव्य वर्ष होते हैं। फिर यह के राजाओंकी वंशावली, चन्द्रगुप्तके दर- आश्चर्यकी बात है कि, कलियुग लगे गारमें रहनेवाले मेगास्थिनीज़के समयमें, कितने वर्ष हुए, इस विषयमें सब ज्योति- थी। परन्तु सन् ४०० ईसवीके लगभग, षियों के द्वारा निश्चित किया हुआ समय अब पुराणकारोंने पुराणोंकी पुनः रचना उन्हें नहीं मालूम था। यह बात सिद्ध हो प्रारम्भ की, उस समय इन वंशावलियों चुकी है कि ये नये पुराणकार और भारतीय के सम्बन्धकी बातें नष्ट हो गई थीं। ऐसा ज्योतिषी एक ही समयमें, अर्थात् सन् क्यों हुआ ? इसका मुख्य कारण यही ईमवीके पहले ४०० से ८०० तक, हुए । मालूम होता है कि चन्द्रगुप्तके समयके . इससे मालूम होता है कि एक ही समयके बाद शूद्र वंश राज्य करने लगा और इन पुगणकारोंको बहुत कम बातें मालूम सनातन धर्म क्षीण होकर अशोकके समय- थीं । अस्तु । सब बानोको देखकर हमें से बौद्ध धर्मका भी प्रसार और विजय हो यही कहना पड़ता है कि विष्णुपुराण और गया । आन्ध्रभृत्य भी शद्र गजा थे। शुद्र भागवतपुराणमें बतलाई हुई पीढ़ियों और राजाओंमें प्राचीन क्षत्रिय राजाओंकी वर्षोंका प्रमाण, मेगास्थिनीज़के प्रमाणके वंशावलीको हिफाजतसे रखनेकी इच्छा- मामने, मानने योग्य नहीं है। का न होना स्वाभाविक बात है । बौद्ध मेगास्थिनीज़ और पुराणकार। राजाओंकी दृष्टिमें तो सनातन-धर्मी : इस विषयका अधिक विस्तारपूर्वक क्षत्रिय राजाओंकी कुछ कीमत ही न रही विचार करना आवश्यक है कि मेगास्थि- होगी । बौद्ध और जैन लोगोंमें वर्ण- नीज़के द्वारा लिखी हुई बाते अधिक विभागका लोप हो जानेके कारण और विश्वसनीय हैं। पहले हम इस बातका वर्ण-विभागका द्वेष रहनेके कारण, क्षत्रियों । विचार करेंगे कि मेगास्थिनीज़ने कौन कौन की कथाओंको नष्कर, भिन्न प्राचीन । सी बातें लिख छोड़ी हैं और उनपर कथाओंकी सृष्टि करनेका उन लोगोंने ! क्या क्या आक्षेप किये जा सकते हैं। दृढ़ प्रयत्न किया था। इस कारणसे बुद्ध : यह बात प्रसिद्ध है कि मेगास्थनीज़का और जैन महावीरके पहलेके गजवंशोकी महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ नष्ट हो गया है। यदि वंशावलियोंका महत्व नए हो गया और वह रहता तो हमें राजा लोगोंके नाम उनकी ओर दुर्लक्ष किया गया । अन्तमें। और वर्ष भी ब्योरेवार लिखे हुए ये वंशावलियाँ प्रायः नष्ट हो गई और मिलते । बेबिलोनमें बेरोससके द्वारा और इसी कारण पुराणकाराने बार्हद्रथ वंशका ईजिप्टमें मेनेथोके द्वारा तैयार की हुई समय अनुमानसे १००० वर्ष रख दिया वंशावली आजतक प्रसिद्ध रहनेके कारण, है। ये पुराणकार प्रायः बुद्धिहीन थे, क्योंकि जिस तरहमे उन देशोंके इतिहासको विष्णुपुराणमें भी कहा गया है कि- “परी- सहायता पहुँचाती है, उसी तरहसे यदि तितके जन्मके समय जब सप्तर्षि मघामें मेगास्थिनीज़के द्वारा लिखी हुई वंशावली थे, उस समय कलियुगका प्रारम्भ हुआ। इस समय हमारे सामने रहती तो हमें इसमें १२०० दिव्य वर्ष है ।" इससे कोई शङ्का न रह जाती। उसका ग्रन्थ नष्ट पुराणकारोंका यही विचार पाया जाता है हो जानेसे दो तीन इतिहास-लेखकोंने कि, भारतीय युद्ध के समयमे ही कलि- उसके ग्रन्थसे जो अवतरण लिये हैं, उन्हें युगका श्रारम्भ हुआ है और कलियुगमें हम यहाँ उद्धृत करते हैं ।