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महाभारतमीमांसा

8. महाभारतमीमांसा # - इतनी बढ़ी चढ़ी थी कि वे एक्-प्रत्ययसे तब वे भारतवर्षके व्यासको भी उससे तारा नक्षत्रोंकी जाँच कर सकते थे, तो आगे नहीं ले जाना चाहते । परन्तु मेनियो- यह भी माना जा सकता है कि उनमें के द्वारा मिली हुई ईजिप्ट देशकी राज- शतपथ-ब्राह्मण लिख सकनेकी योग्यता | वंशावली और बेरोससके द्वारा लिखी भी उसी समय अवश्य थी। सारांश रूपमें हुई बैबिलोनकीराजवंशावली सन् ईसवी- इसी बातको सच समझना चाहिये कि | के ४००० वर्ष पहलेतक जा पहुँचती है। जिस समयका यह दृक्-प्रत्यय है, उसी पहले उन्हें झूठ और अविश्वसनीय मानते समय शतपथ-ब्राह्मण लिखा गया था। | थे; परन्तु अब ईजिप्ट देशमें मिलनेवाले पाश्चात्य विद्वानोंके द्वारा सभीत शिलालेखों और खाल्डिया देशमें मिलने- निश्चित किया हश्रा वैदिक वाले ईंटके लेखोंसे ये वंशावलियाँ सच्ची सिद्ध होती हैं और सन् ईसवीके पूर्व साहित्यका समय। ४००० वर्षोंसे भी पहलेकी मालूम होती पाश्चात्य विद्वानोंने शतपथ-ब्राह्मणका हैं। ईसाई लोगोंकी धार्मिक धारणा ऐसी समय सन् ईसवीके ८०० वर्ष पहलेका है कि उसके अनुसार मनुष्यको उत्पत्ति बतलाया है। यदि इस कालका निश्चय करते का ही समय सन् ईसवीके पूर्व ४००४ समय किसी अत्यन्त अचल प्रमाणसे माना गया है। परन्तु आधुनिक पाश्चात्य काम लिया गया होगा, तो हमें थोड़ी विद्वान् इस धारणाका त्याग करने लगे हैं बहुत कठिनाई मालूम होती । उस दशामें और अब प्राचीन इतिहासके विभाग सौ इस बातका संशय हो जाता, कि दृढ़ वर्षकी गिनतीसे नहीं किये जाते, किन्तु आधारों पर बने हुए दो भिन्न भिन्न मतों हजारों वर्षकी गिनतीसे किये जाते हैं। मेसे कौन मानने योग्य है। परन्तु बात एक इतिहासकारका कथन है कि- ऐसी नहीं है। पाश्चात्य विद्वानोंने वैदिक- | "मनुष्य और पृथ्वीके सम्बन्धका हमारा साहित्यके समयको केवल अन्दाजसे शान शीघ्रतासे बढ़ रहा है । सन ईसवीके निश्चित किया है और यह अन्दाज भी पहले ४००४ वर्षको श्रादमकी उत्पत्तिका भीरता और कंजूसीके साथ किया गया है। समय मानना किनारे रखकर ईजिप्टके उदाहरणार्थ, उन्होंने ऋग्वेदके भिन्न भिन्न इतिहासकार कुछ पिरामिडोंके समयको सूतोंकी रचनाके समयको लगभग ५०० उससे भी पूर्वका मानने लगे हैं।" वर्षाका मानकर, सन ईसवीके पहले इसी तरह अब हिन्दुस्थानके प्राचीन १५०० से १००० वर्षों तकका बतलाया है: । इतिहासको सैंकड़ेके हिसाबसे नहीं,किन्तु और ब्राह्मण अन्धोंका ३०० वर्षांतक हजारके हिसाबसे विभाजित करना रचा जाना मानकर, उनके लिये सन् चाहिये । यह इतिहास, वैबिलोनके ईसवीके पहले ८०० से ५०० तकका समय | इतिहासकी तरह, सन् ईसवीके पूर्ष बतलाया है। ग्रीक लोगोकी उन्नतिके ४००० के भी परे चला जाता है। प्रोफे- समयसे भारती आर्य लोगोंकी संस्कृतिको सर जेकोबीने ज्योतिषके प्रमाणोंके आधार अधिक प्राचीन बतलानेकी हिम्मत पर ऋग्देवके कुछ सूक्तोंका समय सन् पाधायों में होती ही नहीं। जब होमर ईसवी पूर्व ४००० तक सिद्ध किया है। सन् ईसवीके एक हजार वर्षोंके पहलेसे यह सच है कि हिन्दुस्थानमें पिरामिड, अधिक प्राचीन सिद्ध नहीं हो सकता, शिलालेख अथवा इप्टिका (इंटके) लेख