पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१५७

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8 भारतीय युद्धका समय है - - अब हम महाभारतमें बतलाई हुई अनुराधा (उद्योग पर्व) और बक्रानुवासे ग्रहस्थितिका विचार करेंगे । ऊपरके श्रवण (भीष्म पर्व) और मघा: शुक- गणितमें हमने ग्रहोंकी गणित द्वारा मालूम पूर्वाभाद्रपदा (भीष्म पर्व), इत्यादि । पूर्व होनेवाली स्थितिका उल्लख जान बूझकर ! कथनके अनसार चन्द्रमा. मघा और मग किया है। महाभारतमें दी हुई स्थितिसे नक्षत्रों पर बतलाया गया है । इनमेसे उसकी तुलना करते बनेगी। पहले कहा सच बात कौनसी है ? क्या दोनों सच हैं जा चुका है कि युद्ध के प्रारम्भके समय अथवा दोनों झूठ हैं ? और यदि हम चन्द्रमा मघा नक्षत्रमें था। परन्तु बल- उक्तं ग्रहस्थितिका विचार करते हुए इममें- रामके वाक्यसे मालूम होता है कि वह से किसीको झूठ समझ लें, तो यह प्रश्न मृग नक्षत्र में अथवा उसके आगे-पीछेके होता है कि सौतिने एसी झठ बातें क्यों किसी नक्षत्रमें था। कर्णका कथन है कि लिख डाली ? ज्येष्ठासे वक्र होकर मङ्गल अनुराधाको सन ईसवीक ३९०१ वर्ष पूर्वकी ओर जा रहा था । भीम पर्वके श्रारम्भमें | अथवा शकपूर्व २५२६ की प्रत्यक्ष ग्रहस्थिति व्यासके वचनसे मालम होता है कि मङ्गल | हमने पहले दे दी है। वह उक्त समयके वक्र होकर मघा नक्षत्र में आ गया है। गुरु पहले वर्ष के कार्तिक महीनकी बदी अमा- श्रवणमें श्रा गया है और शनैश्चर पूर्वा-वस्थाकी ग्रहस्थिति है जो इस समय फाल्गुनीको पीड़ा दे रहा है । यहाँ व्यास- गणित द्वाग निश्चित की गई है। उसकी ने यह भी कहा है कि शुक्र पूर्वाभाद्रपदा- और इस ग्रहस्थितिकी तुलना करनेसे इन में आ गया है । परन्तु उद्योग पर्वम कर्ण- ग्रहोंके स्थानका काल्पनिक होना स्पष्ट ने कहा है कि उग्र ग्रह शनैश्चर रोहिणी दिखलाई पड़ता है। यदि इस बातको नक्षत्रको पीड़ा दे रहा है। इसी प्रकार ध्यानमें रखें कि युद्ध मार्गशीर्ष बदीमें भीष्म पर्वमें व्यासने फिर कहा है कि हुअा था, और यदि इस बात पर भी शनि और गुरु विशाखाके पास है । मङ्गल ध्यान दें कि भीष्म पर्वमें बतलाई हुई वक्रानुवक्र करके श्रवण पर खड़ा है। स्थिति युद्धके पहले अर्थात् मार्गशीर्षके इसके सिवा और भी कई बातें राहु, केतु प्रारंभकी है तथा कर्णके द्वारा बतलाई और श्वेत ग्रहके सम्बन्धम बतलाई गई हुई स्थिति कार्तिक बदीकी है, तो भी यह हैं । परन्तु हम खासकर शनि, गुरु, स्पष्ट मालम हो जाता है कि मंगल, गुरु मङ्गल और शुक्रका विचार करेंगे । इन और शनिकी स्थितिमें बहुत अन्तर न ग्रहोंके भिन्न भिन्न नक्षत्र इस तरह उत्पन्न पड़ेगा : परन्तु यहाँ तो बहुत बड़ा अन्तर हो गये हैं। शनि-पूर्वाफाल्गुनी (भीष्म दिखाई पड़ता है । यह मामला साफ पर्य) और रोहिणी (उद्योग पर्व): गरु- समझमें श्रानेके लिये नीचे एक कोएक श्रवण और विशाखा (भीष्म पर्व): मङ्गल-दिया गया है। कर्णका व्यासका शक ३१८० शक २५२७ कथन में प्रत्यक्ष स्थिति में प्रत्य स्थिति ( उद्योग पर्व) (भीष्म पर्व) (गणितसे) (गणितम) मङ्गल अनुराधा वक्री मघा और पकानुबक श्रवण पूर्वाषाढ़ा धनिष्ठा भ्रषण विशाखा रंधती भरणी शनि रोहिणी पूर्वाफाल्गुनी शततारका भरणी-कृत्तिका कथन