श्रीमन्महाभारत-मीमांसा अनुक्रमणिका (विषयवार और विस्तृत ) प्रस्ताव-पृ०१-४ अन्धप्रशंसा १, प्राच्य और पाश्चात्य विद्वानोंका अध्ययन और मत २, विषय- का पूर्व-सम्बन्ध वैदिक साहित्यसे और उत्तर-सम्बन्ध प्रीक तथा बौद्ध साहित्य- से २, भारती-काल, महाभारत-काल और भारती युद्धकाल ३, महाभारतके विस्तार- का कोष्ठक ३, बम्बई, बङ्गाल और मद्रासके पाठ ३। पहला प्रकरण-महाभारतके कर्ता- पृ०५-४२ तीन ग्रन्थ और ग्रन्ममें बतलाये हुए तीन कर्त्ता ५, जय, भारत, महाभारत, व्यास, पैशम्पायन, सौति, तीन प्रारम्भ ६, तीन ग्रन्थ-संख्या ७, अठारह पर्व सौतिके हैं, कर्सा काल्पनिक नहीं हैं ६, जन्मेजयकी पापकृत्या १०-११, यदाश्रौषम् इत्यादि श्लोक सौतिके हैं १२, सौतिका बहुश्रुतत्व और कवित्व १२, सौतिने भारत क्यों बढ़ाया १३, सनातन-धर्म पर बौद्ध और जैन धर्मों का आक्रमण १४-१६, सनातन- धर्मकी प्रतिपादक कथाओं और मतोंका संग्रह १६-१७, बढ़ाई हुई मुख्य बातें (१) धर्मकी एकता, शिव और विष्णुका विरोध दूर कर दिया गया १७-८, सांख्य, योग, पाशुपत, पांचरात्र आदि मतोंका विरोध भी दूर कर दिया गया १६-२१, (२) कथा- संग्रह २१-२४, (३) ज्ञान-संग्रह २५, (४) धर्म और नीतिकी शिक्षा २५-२६, (५) कवित्व और स्त्रीपर्वका विलाप सौतिका है २६, कट श्लोकोंके उदाहरण २७, ये श्लोक सौतिके हैं, इनकी संख्या २८, (६) पुनरुक्ति, (७) अनुकरण २६, () भविष्य- कथन ३०, (६) कारणोका दिग्दर्शन ३१-३२, महाकाव्यको दृष्टिसे भारतकी श्रेष्ठता ३२, भारती-युद्धका मुख्य सविधानक महत्वका, राष्ट्रीय और विस्तृत है ३३-३६, भारतके व्यक्ति उदात्त हैं ३६, स्त्रियाँ और देवता भी उदार हैं ३७, “धर्मवो धीयतां बुद्धिर्मनो वो महदस्तु" ही भारतका सर्वस्व है-भाषण और वर्णन ३६-३०, वृत्त- गांभीर्य और भाषामाधुर्य ३६, भारतका मुख्य जीव, धर्माचरण ४० दूसरा प्रकरण-महाभारत ग्रन्थका काल-पृ. ४३-८० उचकल्प शिलालेख (ईसवी सन् ४४४) में एक लाखको संहिताका हवाला ४३, डायोन क्रायसोल्टोमके लेख (ई. सन ५०) में एक लाखके ईलियडका हवाला ४१-४४.
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