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महाभारतमीमांसा

. महाभारतमीमांसा - को बिलकुल पसन्द नहीं। मर्द कमरके पहनी थी। यानी स्त्रियोंके गहने पहन- भासपास एक लम्बा वस्त्र लपेटते ' कर उसने कानोंमें कुण्डल पहने थे। हैं और कन्धे पर दूसरा वस्त्र रख- कलाइयों तथा भुजाओंमें शंखके गहने कर दाहिने कन्धेको खुला रखते हैं। पहने थे और सिरके बालोंको कन्धे पर स्त्रियाँ एक लम्बी साड़ी इस तरह पह- खोल दिया था । सहदेवने ग्वालेका नती हैं कि कन्धोंसे लेकर पैरोंतक सारा वेष धारण किया था । किन्तु उसका शरीर छिपा रहता है और वह कुशादा विशेष वर्णन नहीं है; और चाबुक-सवार लिपटी रहती है। सिरके बालोंकी चोटी बने हुए नकुलकी पोशाकका भी वर्णन बाँधकर बाकी केश लटकाये रहते हैं। नहीं है। उसके हाथमें सिर्फ चाबुक होने- कुछ लोग मूंछे या तो बिलकुल मुंडवा का उल्लंख है । विवाहके समय सुभद्राने लेते हैं या भिन्न भिन्न रीतियोंसे रखते हैं।" गोप-कन्याका वेश धारण किया था, यह इस वर्णनसे जान पड़ता है कि अँगरखे, : पहले लिखा जा चुका है। इन भिन्न भिन्न कुरते, सलूके, पैजामे आदि कपड़े मुसल- वर्णनोंसे ज्ञात होता है कि वस्त्रोंके रङ्ग मानी ज़मानेमें इस देशमें आये होंगे। और पहननेको अलग अलग रीतियाँ ही इसमें सन्देह नहीं कि गरीब और अमीर, पेशे या जातिकी सूचक रही होगी। इसके राजा और रङ्क सभी धोतियोंका उपयोग अतिरिक्त उनके अलङ्कार और हाथोंके करते थे परन्तु उनमें अन्तर बढ़िया उपकरण भी पेशेके सूचक होंगे। बारीक सूत-पोत और मोटे-मोटे कपड़े- अलङ्कार। का था। अथवा धनवानोके वर रेशमी या ऊनी होते थे और ग़रीबोंके मामूली भारती पार्योंकी पोशाक जितनी सूती। भिन्न भिन्न जातियों और पेशों- सादी थी, उनके अलङ्कार उतने ही भिन्न वाले लोग तरह तरहसे यही पोशाक भिन्न रूपके और कीमती थे । उनकी पहनते थे, या फिर उनकी कुछ खास पोशाककी सादगीका जैसा वर्णन यूनानी पहचान पोशाक या अलङ्कारमें रहती थी। लोगोंने किया है वैसे ही उनके अलङ्कारों. जिस समय विराटके घर पाण्डव लोग के शौकका भी वर्णन यूनानी इतिहास- तरह तरहकी पोशाक पहनकर भिन्न कारोंने किया है । महाभारतके समय मिन्न कामों पर नौकर हुए, उस समयका पुरुष और स्त्री दोनोंको ही गहने पहनने- प्रत्येकका वर्णन ऐसा है । युधिष्ठिर, का बेढब शौक था । और उस समय प्राह्मणकी पोशाक अर्थात् खूब साफ़ हिन्दुस्तानमें सोने, मोती और रत्नोंकी सफेद धोती ओढ़े और बगलमें गोटे जैसी समृद्धि थी, उसका विचार करने और पासे लिये हुए दुपदके आगे आये। पर हिन्दुस्तानियोंके गहने पहननेके भीम रसोइया बनकर, काली रँगी हुई शौक पर कुछ आश्चर्य नहीं होता । धोती पहने और चमचा, पलटा, तथा सामान्य श्रेणीके लोग सोने-चाँदीके गहने छुरी लिये हाज़िर हुआः द्रौपदी एक ही पहनते थे । यही नहीं, बल्कि सुनहले मैला पल पहने अपने केशोमे गाँठ लगा- गहनोंसे गाय, हाथी और घोड़े को भी कर और एक कपड़ेके नीचे दाहिनी ओर सिङ्गारते थे । परन्तु धनवान लोग खास- छिपाये सैरन्ध्रीकी हैसियतसे सुदेष्णाके कर राजा और ताल्लुकदार तथा उनकी मागे भाई । अर्जुनने बृहन्मलाकी पोशाक अङ्गनाएँ मोतियों, रत्नों और हीरे आदिके