पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/३१

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  • महाभारतके कार

- पहला प्रकरण कथाका उल्लेख भारतमें ही है। इसमें सन्देह नहीं कि जो प्रश्नोत्तर वैशम्पायन और अन्मेजयके बीच हुए होंगे वे व्यास- जीके मूल ग्रन्थसे कुछ अधिक अवश्य होंगे। इसी प्रकार सौति तथा शौनक महाभारतके कर्ता। ऋषियोंके बीच जो प्रश्नोत्तर हुए होंगे वे यह बात सर्वत्र मानी गई है कि महा वैशम्पायनके ग्रन्थसे कुछ अधिक अवश्य भारत ग्रन्थमे एक लाख अनुष्टुप | होंगे। सारांश, व्यासजीके प्रन्थको वैशं श्लोक हैं और उसके कर्ता कृष्णद्वैपायन पायनने बढ़ाया और वैशंपायनके ग्रन्थको व्यास हैं । वास्तविक श्लोक-संख्या. जैसा सौतिने बढ़ाकर एक लाख श्लोकोंका कर कि महाभारतमें कहा गया है, खिल पर्व-) दिया। इसके प्रमाणमें सौतिका यह स्पष्ट सहित ६६२४४ है और यदि खिल पर्वको वचन है कि "एकम् शतसहस्रं च छोड़ दें तो वह संख्या ८४२४४ होती है।*मयोक्तम् वै निबोधत" (श्रा०अ०१,१०६) पाठकोंको यह बात पहले दिये हुए कोष्ठक- अर्थात्, इस लोकमें “एक लाख श्लोकोंका से मालूम हो गई है, कि वर्तमान समयमै महाभारत मैंने कहा है" यह इससे स्पष्ट उपलब्ध बम्बईके संस्करणों में, खिल पर्वको है। यद्यपि सब लोग यही समझते हैं छोड़ देने पर,श्लोक-संख्या४५२५ अथवा कि समस्त महाभारतकी रचना अकेले ३८२६ है, और हरिवंश सहित श्लोकोंकी व्यासजीकी ही है, तथापि लक्षणसे ही संख्या कमसे कम 8५८२६ तथा अधिकसे इसका अर्थ लिया जाना चाहिये। अधिक १०००१० है। सारांश, इस कथन- यदि यह मान लिया जाय कि वैशंपायन का वस्तुस्थितिसे मेल है कि महाभारत-अथवा सौतिने जो वर्णन किया है अथवा प्रन्थमें करीब एक लाख श्लोक हैं। यह उन लोगोंने जो अंश बढ़ाया है, वह सब असम्भव आन पड़ता है कि इतने बड़े व्यासजीकी प्रेरणाका ही फल है और ग्रन्थकी रचना एक ही मनुष्यने की हो। वह सब उन्हींके मतोंके अधारपर रचा इससे यही अनुमान होता है कि महा- गया है, तो व्यासजीको एक लाख भारतके रचयिता एकसे अधिक होंगे। श्लोकोंका कर्तृत्व देनेमें कोई हर्ज नहीं। महाभारतके ही वर्णनानुसार ये रचयिता वस्तुतः यही मानना पड़ता है कि महा- तीन थे-व्यास, वैशम्पायन और सौति। भारतके कर्ता तीन हैं-अर्थात् व्यास, भारतीय-युद्धके बाद व्यासने 'जय' नामक वैशंपायन और सौति । बहुतेरे विद्वानीका इतिहासकीरचना की।यह इतिहासव्यास- कथन है कि महाभारतके रचयिता तीनसे जीके शिष्य वैशम्पायनने पाण्डवोंके पोते भी अधिक थे। परन्तु यह तर्क निराधार जम्मेजयको उस समय सुनाया था जब | है और इस एक ग्रन्थके लिये तीन कवियों- कि उसने सर्पसत्र किया था और वहाँ से अधिककी आवश्यकता. भी नहीं देख उस कथाको सुनकर सूत लोमहर्षणके पुत्र पड़ती। सौति उप्रश्रवाने उन ऋषियोंको सुनाया। इस कथनके लिये और भी कुछ अनु- जो नैमिषारण्यमें सत्र कर रहे थे। इस कुल प्रमाण या बातें हैं कि तीन कर्ताओंने महाभारतको वर्तमान स्वरूप दिया है। • नीम पुत्र का कोष्ठक देखो। पहिली बात तो यह है, कि इस अन्धके