पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/३४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
३१४
महाभारतमीमांसा
  • महाभारतमीमांसा *

गार्ड) दोनों अधिकारी बहुत ईमानदार रवाज परस चन्द्रगुप्तके समय हिन्दु और कुल-परंपरागत रहते थे। वे विद्वान्, स्थानमें ली गई होगी। अर्थात् महाभारत- स्वामिभक्त, मिष्टभाषी, सत्यवादी, चपल में जो कुछ कहा है वह इसके पूर्वके तथा दक्ष होने चाहिए। यह विस्तारपूर्वक समयके राजा लोगोंकी परिस्थितिका कहना आवश्यक नहीं कि इन दोनों अधि-: वर्णन है । यहाँ यह शंका होगी कि हमने कारियोंके लिए इन गुणोंकी कितनी श्राव- तो महाभारत कालको चन्द्रगुप्तके पश्चात्- श्यकता है । इनका काम बहुत महत्त्व : का ठहराया है, इसलिए चन्द्रगुप्तके और जोखिमका रहता है। बाडीगाडौंको समयका वर्णन महभारतमें अवश्य पाना छोड़ और दूसरे सशस्त्र संरक्षक भी चाहिए । परन्तु इसका उत्तर यह है कि राजाकी रक्षाके लिए उसके पास पास यद्यपि हमने निश्चय किया है कि महा- रहते थे। सभापर्वके कश्चिन् अध्यायमें भारत अशोकके लगभग चन्द्रगुप्तके बाद यह प्रश्न है:- शीघ्र ही वना है, तथापि हमने अपनी कश्चित् रक्तांबरधगः खड़गहस्ताः : यह भी राय दी है कि वह महाभारत भी स्वलंकृताः। उपासते त्वामभितो रक्षणा- अशोककी बौद्धादि नूतन प्रवृत्तिका र्थमरिंदम ॥ विरोध करनेके लिए लिखा गया है। इस श्लोकसे मालूम होता है कि संर- इसलिए महाभारतकारने मगधोंकी नई क्षकोंके वस्त्र भिन्न यानी लाल रंगके राजधानी पाटलीपुत्रका कहीं उल्लेख रहते थे और उनके शरीर पर सुन्दर नहीं किया । वहाँ जो नृतन बौद्ध धर्म श्राभूषण और हाथमें नंगी तलवार रहती प्रचलित हो रहा था, उसका भी उल्लेख थीं। इससे यह तुरन्त मालम हो जाता उसने नहीं किया: वहाँ जो नया साम्राज्य था कि ये गजाके शरीर-संरक्षक है। ये स्थापित हुआ था उसका भी उसने उल्लेख मंरक्षक गजाके समीप कुछ अन्तर पर नहीं किया, और उस नूतन साम्राज्यको खड़े रहते थे। इन संरक्षकोंके वर्णनसे यह नई दरबार-पद्धतिका, सम्राटके आस- जान पड़ता है कि, कालिदास श्रादि कवियो-: पास सशस्त्र स्त्रियोंके पहरेका, भी उसने ने जो यह लिखा है कि यावनी स्त्रियाँ शस्त्र वर्णन नहीं किया। भारती-कालसे छोटे लेकर हमेशा राजाके आसपास रहतीथीं, छोटे राज्योंमें जो भिन्न भिन्न संस्थाएँ बह रीति उस समयतक अर्थात महा- जारी थी. उन्हींका उसने वर्णन किया है। भारतकालीन राजदरबारमें प्रचलित नहीं मान सकते हैं कि महाभारत-कालमें भी हुई थी। मेगास्थिनीज़ने लिखा है कि ऐसे राज्य बहुतसं थे। चन्द्रगुप्तके समयमें भी राजा लोगोंके . पास-पास सुन्दर और बलवान स्त्रियांका अन्तःपुर। पहरा रखनेकी परिपाटी थी । मनुस्मृति- अब हम गजा लोगोंके अन्तःपुरका में भी "स्त्रीभिः परिवृता गजा" ऐसा वर्णन करेंगे। गजाका महल अकसर किले. वर्णन है । अतएव मनुस्मृतिके कालमें भी के अन्दर रहा करता था । उसमें कई यह रीति थी । कालिदासने स्त्रियोंको आँगन या कक्षाएं रहती थीं। बाहरकी यावनी कहा है। इससे प्रकट है कि ये । कक्षामें सब लोगोंको पानेकी इजाज़त थी लियाँ यवन जातिकी थी और यह गति और दूसरी कक्षामें केवल अधिकारी और पर्शियन और प्रोक बादशाहों के दरबारके दरबारी लोग प्रासकतेथे। तीसरी कक्षामें