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पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/३४१

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® राजकीय परिस्थिति। * ३१५ वमशाला, राजाके स्नान तथा भोजनगृह सकता कि ये बातें युधिष्ठिरके लिए कही आदिका प्रबन्ध रहता था । चौथी गई हो । नारदका प्रश्न युधिष्ठिरके कक्षामें अन्तःपुर रहता था । यहाँका सम्बन्धमें अप्रयुक्त देख पड़ता है। स्थान विस्तीर्ण रहता था और बड़े बड़े , कञ्चिस्त्रियः सान्त्वयसि बाग-बागीचे रहते थे । राजाके अन्तःपुर- कश्चित्ताच सुरक्षिताः । में खियाँ रहती थीं। राजाकी एक या कश्चिन्न श्रद्दधास्थासां अधिक पटरानियाँ होनी थी । परन्तु कश्चिद्गुह्यं न भाषसे ॥ इनके सिवा, जैसा कि हम पहले बतला' इस प्रश्नका उपयोग युधिष्ठिरके लिए चुके हैं, उसकी और भी कई स्त्रियाँ रहती कुछ भी नहीं हो सकता। युधिष्ठिरके एक थीं । स्मरण रहे कि ये स्त्रियाँ केवल जबर- ही स्त्री थी और उस पर पहरा रखनेकी दस्तीसे नहीं लाई जाती थीं। यह पहले कोई आवश्यकता भी न थी। उस पर कहा गया है कि ये अनेक स्त्रियाँ किस उसका पूर्ण विश्वास था और उसे वह प्रकार एकत्र की जाती थी । उससे सब राजनैतिक गुह्य बतलाया करता था। मालूम होता है कि हर वर्ष विवाहके अस्तु । इसमें सन्देह नहीं कि नारदका समय राजाको सुन्दर मुन्दर कन्याएँ — यह उपदेश सब गजा लोगोंके लिए बहुत अर्पण करनेकी परिपाटी प्राचीन कालमें उपयोगी है। समस्त गजा लोगोंक सचमुच होगी। इसीसे गजाके अंतःपुर- सम्बन्धमै पूग विचार करनेसे यह प्रकट में अनेक स्त्रियाँ एकत्र हो जाया करती होता है कि अन्तःपुरकी खियोस कभी थीं । अनियंत्रित गजसत्ता तथा अपरि- कभी हानि अवश्य होती थी। यूनानियों- मित वैभवके कारण राजाश्रीको अनेक ने भी लिग्न रखा है कि कभी कभी अन्तः- स्त्रियोकी इच्छा होना स्वाभाविक है और पुरकी स्त्रियोंसे राजाका प्राणघात विषसे इस परिस्थितिमें जबरदस्ती स्त्रियोंको या वृनी लोगोंके द्वारा किया जाता था। पकड़ ले जानेकी संभावना है। इसलिए अतएव नारदको यह सूचना करनी पड़ी इसके बदले, जो व्यवस्था ऊपर बतलाई कि अन्तःपुरकी स्त्रियों पर कड़ा पहरा गई है, वही अच्छी थी। कुछ भी कहा रखना चाहिए और उन पर विश्वास जाय, पर यह निर्विवाद है कि महाभारत- नहीं करना चाहिए । ऊपर दिये हुए युधि- कालमें राजा लोगोंके अन्तःपुरमें अनेक ष्ठिरक और अन्य राजानीकं भिन्न गृह- स्त्रियाँ रहती थी। इसके सम्बन्ध, सभा- वर्णनसं यह बात समझमें आ जायगी पर्वमें, नारदने राजा लोगोको उचित कि भारत-कालके प्रारम्भमें राजा लोगों- उपदेश दिया है कि-"ऐसी स्त्रियोंकी : का गृहस्वास्थ्य कितना अच्छा था और राजा लोग संतुष्ट रखें, उन पर कड़ा. वही महाभारत-कालतक कितना बिगड़ पहरा रखें और उनका विश्वास न करें। गया था। उन्हें गुप्त बातें न बतावें।" ये चारों बातें: हमें इस बातका स्मरण नहीं कि महा- महत्त्वकी हैं। परन्तु यह नहीं माना जा भारतके कश्चित् अध्यायमें या शान्ति पर्वके गजधर्म-भागमें या और कहीं, अन्तः- ने वतीय जनाकोणाः कनास्तियो नग्मा। पुरमें पहरा देनेके लिए वर्षवरों या अहकारेण गननामुपनगन-या: खोजा लोगोको नियत करनेकी परति उल्लिम्बित है । भयङ्कर गतिसं पुरुषोंका जगमधवध म.. ०२०३०