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- महाभारतमीमांसा
- के हजारों ब्राह्मण दक्षिण और पूर्व और सरयू नदी पर आये । वहाँमे उन्होंने पूर्व बङ्गाल और मैसूरतक गये हैं। द्रुपदके कोसल देशमें प्रवेश किया। इसके बाद वे लिए जो राज्य रह गया, उसमें गंगाके , मिथिला और माला देशोंमें गये; और तीर पर माकन्दी और कांपिल्य नामक चर्मण्वती, गंगा तथा शोणनद उतरकर दो शहर थे। | उन्होंने पूर्व दिशाकी ओर पयान किया। राजासि दक्षिणे तीरे भागीरथ्याहमुत्तरे। तब वे मागध देशमें पहुँचे। इसके आगे इत्यादि (श्रादिपर्व १० १३८ ) श्लोक उन्हें गोरखपर्वत मिला । वहाँ सब समय देखिये । इसके बाद पूर्व और दूसरा गौएँ चरा करती थीं; और विपुल जलके राज्य कोसल था। इसके भी दो भाग । झरने थे। उस पर्वत पर चढ़कर उन्होंने उत्तरकोसल और दक्षिणकोसल थे । : मागधपुर गिरिव्रज देखा । (सभा पर्व उत्सरकोसल गंगाके उत्तर और और दक्षिण · अ० ११६) गिरिव्रजकी राजधानी बदल- कोसल दक्षिण ओर, विन्ध्यपर्वततक था। कर पाटलिपुत्र राजधानी गंगा पर महा- अयोध्याके नष्ट होने पर उत्तरकोसल- भारत कालके पहले ही बसी थी: परन्तु की राजधानी विन्ध्यपर्वतमें कुशावती थी। महाभारतमें उसका बिलकुल ही वर्णन इसके पूर्व और मिथिलराज्य था। उसकी नहीं है। अवश्य ही यह श्राश्चर्यकी बात पश्चिमी सीमा सदानीरा नदी थी। मिथिल है। परन्तु वहाँ उस समय बौद्ध राजा थे, देश गंगातक न था। गंगाके किनारे पर इसलिए प्राचीन राजधानीका ही उल्लेम्व काशीका भी राज्य था। काशीके दक्षिण महाभारतमें किया गया है। ओर मगधोका राज्य था । यह राज्य बहुत , यहाँ आर्य देशोंकी सीमा समान ही उपजाऊ और जनसंख्यामें भी बढ़ा हुई। यह स्पष्ट जान पड़ता है कि इसके हश्रा था। इन मगधोकी राजधानी उस । पूचे श्रीर, अथात् वतमान बङ्गाल प्रान्तमें, वक्तनक पाटलिपुत्र नहीं थी; किन्तु मिश्र आर्य थे। ये देश अंग, वंग, कलिंग राजगृह अथवा गिरिव्रज थी। इसके नामसे प्रसिद्ध हैं। ऐसा माना जाता था भासपास पाँच टेकरियाँ हैं। उनपर जो कि इन देशोंमें जानेसे ब्राह्मण पतित होता पुरानी इमारतें हैं, उनसे अब भी उसका है। आदि पर्व अध्याय १०४ में यह वर्णन परिचय मिलता है। महाभारतके श्रादि , किया गया है कि दीर्घतमाऋषिके अंग,वंग, पर्वमें यह बतलाया गया है कि मगधोके | कलिंग, पुगड़ और सुह्म नामक पाँच पुत्र, राज्यको वसुके एक पुत्र बृहदश्वने स्थापित : बलिकी स्त्रियोंके पेटसे, उत्पन्न हुए । किया था। हस्तिनापुरसे अर्जुन, भीम इस वृत्तान्तसे ही सिद्ध होता है कि और कृष्ण जब जरासन्धको मारनेके लिए यहाँके आर्य मिश्र आर्य हैं । अंग, वंग, राजगृह अथवा गिरिव्रजकी ओर चले, कलिंगको आजकल चम्पारन, मुर्शिदा- तब उन्हें जो देश, नदियाँ इत्यादि पार बाद और कटक कह सकते हैं । पौण्ड करनी पड़ी, उनका महाभारतमें बहुत और सुह्म दोनों देश महाभारतकी सूचीमें सूक्ष्मतासे वर्णन किया गया है, जो यहाँ नहीं मिलते। यह आश्चर्यकारक है। कदा- देने योग्य है। वे कुरु-जांगल देशसे रम- चित् महाभारत कालमें ये देश भरत- णीय पद्मसरोवर पर आये । इसके बाद बण्डके बाहरके माने जाते होंगे । इनके उन्होंने कालकूट पर्वत पार किया। महा- सिवा पूर्व ओरके और भी देश बतलाये शोण और सदानीरा नदी उतरकर वे गये हैं । वे ताम्रलिमक और प्रोड़ हैं।