पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/४१९

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ॐ भूगोलिक ज्ञान । ३६१ - - बीचके वर्तमान सतपुडा पर्वतके विषयमें इस सूचीसे एक यह बात बतलाई जा भी कहीं कहीं उल्लेख पाया जाता है। सकेगी कि, साधारणतः जिस देशमें हिमालयके गन्धमादन और कैलास पर्वत- आर्योकी अधिक प्रबलता थी, उस भरत- का भी महाभारतमें बहुत वर्णन है। खंडकी सीमा दक्षिणकी ओर बहुत ही भारतके लोग अथवा राज्य। दूर, अर्थात् गोदावरीके आगेतक, फैली थी । अर्थात् वर्तमान महाराष्ट्र देश भीष्मपर्वमें यह स्पष्ट कहा है कि, उस समय भरतखंडमें शामिल माना जाता भारतवर्ष में महाभारत कालमें तीन प्रकार-! था। दक्षिण ओरके लोगोंकी जो सूची दी के लोग थे । अर्थात् यह स्पष्ट कहा गया हुई है, उसके सम्बन्धमें एक बड़े महत्वकी है कि आर्य लोग, म्लेच्छ लोग और दोनों बात ध्यानमें रखने लायक यह है कि, के मिश्रणसे पैदा हुई जातियाँ रहती थी। यदि साधारण तौर पर गोदावरीके मुख परन्तु आगे देशोंके जो नाम दिये है, से पश्चिम ओर बम्बईतक एक रेखा उनमें यह अलग नहीं बतलाया है कि खींची जाय, तो उसके नीचे दक्षिण ओर- मार्य कौनसे हैं, म्लेच्छ कौनसे हैं और : के देश आते हैं। हम इन देशोंकी सूचीसे मिश्र लोग कौनसे हैं। यह एक बड़ी और दिग्विजयमें उल्लिखित देशोंकी सूची- न्यूनता है । सम्भव है कि उस समय यह से तुलना करेंगे: और महाभारत कालमें बात पूर्णतया मालुम थी, अतएव उस अर्थान् चन्द्रगुप्तके समयमें जो देश अथवा समय उसका कछ विशेष महत्वन समझा. लोग प्रसिद्ध थे, वे कीन थे, इसका गया होगा। हाँ, यह उत्तर पोरके म्लेच्छ विचार करेंगे। अवश्य अलग बतलाये गये हैं । परन्तु पूर्व ओरके देश । वे भी भारतवर्ष के बाहरके हैं। इससे यह । निश्चित करना हमारे लिए कठिन है कि, पहले हम कुरुसे प्रारम्भ करेंगे। इस. भारतवर्ष के भीतर म्लेच्छ देश कौनसे को इस सूचीमें कुरु-पांचाल कहा है। थे। फिर भी अन्य प्रमाणोंसे हम इस कुरुपांचालोकी राजधानी हस्तिनापुर थी। बातके निश्चित करनेका प्रयत्न करेंगे। वह गंगाके पश्चिम किनारे पर थी। इनके कुल १५६ देश भारतवर्ष में बतलाये गये पूर्व पोर पांचालीका राज्य था। आदि हैं । दक्षिण भारतमें ५० देश और उत्तर पर्वमें यह वर्णन है कि, द्रोणने इस देश- ओर म्लेच्छ देशके अतिरिक्त २६ देश बत- का श्राधा भाग जीतकर कौरवोंके राज्यमें लाये गये हैं। उनके नाम बतलानेके पहले शामिल कर दिया था। पांचाल देश गंगा- यह बात हमारे ध्यानमें पानी चाहिए कि, के उत्तर ओर और दक्षिण ओर यमुना- इन देशोके नाम सिलसिलेवार अथवा तक था। गंगाके उत्तर ओरका भाग द्रोण- पूर्व-पश्चिम इत्यादि दिशाओंके अनुरोधसे ने जीतकर कौरव-राज्यमें शामिल किया: भी नहीं बतलाये गये हैं। इस कारण, और गंगाके दक्षिणका भाग दुपदके लिए अनेक विषयोंमें हम इस बातका निश्चय रखा। शामिल किये हुए भागकी राज- नहीं कर सकते कि, ये देश अथवा लोग धानी अहिच्छत्रपुरी थी। यह अहिच्छत्र कौन हैं। उनकी सूची हम आगे देते हैं। नगर पूर्व कालमें प्रसिद्ध था: और वर्तमान उनमें जितनेका हमको निश्चयपूर्वक बोध रामपुरके पास था। ऐसी दंतकथाएँ प्रच- हुश्रा, उतनेका हम यहाँ निर्देश करते हैं। लित हैं, जिनसे जान पड़ता है कि, यहाँ.