- भूगोलिक ज्ञान । *
३६५ % 3D आया। इससे यही सिद्ध होता है कि आपसमें बलरामको जीतनेका सङ्केत यह विदर्भ देश दक्षिण देशोंमें ही था। किया । लिखा है उन राजाओंमें मुख्य इस देशकी राजधानी कुण्डिनपुर थी; अश्मकाधिप था । अर्थात् , दक्षिणके आर्य और भोजकट नामक एक दूसरा नगर राज्यों में अश्मक देश मुख्य था । बौद्ध रुक्मीने बसाया था। ग्रन्थोंमें भी अस्सक रूपसे दक्षिणके इन विदर्भका विचार करनेके बाद स्वभा- अश्मक लोगोंका उल्लेख किया गया है। वतः ही हमारे सामने महाराष्ट्रका विचार मतलब यह है कि महाराष्ट्र के लोगों से उत्पन्न होता है। परन्तु महाराष्ट्रका नाम अश्मक मुख्य थे। कितने ही ताम्रपटों सम्पूर्ण महाभारतमें कहीं नहीं है । और लेखोसे यह सिद्ध हुआ है कि इससे कुछ यह नहीं माना जा सकता गोपराष्ट्र नामक देश नासिकके आस- कि महाराष्ट्रका जन्म उस समय न था। पासका प्रदेश है । पाण्डुराष्ट्र भी उसीके यदि विदर्भ अर्थात् बरारमें भोजोंकी पास होना चाहिए । मल्लराण भी महा- बस्ती हुई थी, तो यह मानने में भी कोई राष्ट्रका एक भाग होगा । इन चारों- हर्ज नहीं कि महाराष्ट्रमें यादवोंकी बस्ती पाँचों लोगोंके एक लोग बनकर वे महा- उसी समय हुई थी। परन्तु उस समय गष्ट नामसे प्रसिद्ध हुए : और उनकी महाराष्ट्रको बड़ा स्वरूप प्राप्त नहीं हुआ भाषा महाराष्ट्रीय नामसे प्रसिद्ध हुई। था। उसके छोटे छोटे भाग उस समय यह बात महाभारत कालके बाद इसवी थे। इन भागोकेनाम महाभारतमे देशो-सनके पहले ही हई होगी। इस सचीमे की सूचीमें आये हैं । यह कहने में हमको महाराष्ट्रका नाम नहीं है, इसलिए यह बिलकुल शङ्का नहीं मालूम होतो कि वे भी माना नहीं जा सकता कि महाराष्ट्री नाम रूपवाहित, अश्मक, पाण्डुराष्ट्र, प्राकृत भाषा इससे पहले अथवा इस गोपराष्ट्र और मल्लराष्ट्र हैं। विदर्भके समय उत्पन्न न हई होगी। क्योंकि यह बाद ही इस सूची में इनके नाम आये हैं। स्पष्ट है कि राष्ट्रका नाम लोगोंके विषयमें पाण्डुराष्ट्र, गोपराष्ट्र और मल्लराष्ट्रका इस समयमें ही प्रसिद्ध था। 'राष्ट्र' शब्द महत्वपूर्ण है । यही राष्टिक अब गुजराती लोगों और गुजरात नामसे, उसी समय और भागेभी प्रसिद्धि- देशके विषयमें विचार किया जायगा। को प्राप्त हुआ। इसमें कुछ भी सन्देह इनका नाम सूचीमें बिलकुल नहीं है। महीं कि आगे चलकर इन्हीं तीन राष्ट्रोंके इससे यही मानना पड़ता है कि मिल जानेसे महाराष्ट्र बना है। भोजोंके गुर्जर लोग गुजरातमें महाभारत कालतक जैसे महाभोज हुए, वैसे ही राष्ट्रोंके नहीं आये थे । वर्तमान गुजरात प्रान्तके महाराष्ट्रिक हुए। अन्य प्रमाणोंसे यह जो देश इस सूची में दिखाई देते हैं, वे भी मालूम होता है कि इन देशोंका स्थान सिर्फ पानर्त और स्वराष्ट्र है। यह बड़े भी इसी महाराष्ट्रमें था। अगले अनेक आश्चर्यकी बात है कि सुराष्ट्र नाम भी लेखोंसे यह सिद्ध हुआ है कि अश्मक इस सूची में नहीं है । इससे यह नहीं देश देवगिरिके आसपासके प्रदेशसे ही माना जा सकता कि सुराष्ट्र नाम महा. मिला हुआ था । हरिवंशके पूर्वार्धमें भारत कालके बाद उत्पन्न हुआ; क्योंकि कहा है कि जब रुक्मीने बलरामके साथ सुराष्ट्र नाम महाभारतमें अनेक अन्य त खेला, तय दाक्षिणात्य गजाओने जगह पाया जाता है । वन पर्वमें धौम्यने