पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/४३७

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  • भूगोलिक ज्ञान । *

४०8 नगर। शुक्तिमती वनपर्वके २२ वें अध्यायमें वर्णित महाभारतमें किन किन नगगेका नाम है। महाभारतमें देशोंकी सूची में वत्स देश- पाया है, इसका उल्लेख प्रायः उपर्युक्त का नाम नहीं पाया: और वत्सराजकी वर्णनमें हो चुका है। कौरवोकी मुख्य राजधानी कौशाम्बीका नाम भी यद्यपि राजधानीका शहर हस्तिनापुर, जो गङ्गा- महाभारतमें प्रत्यक्ष नहीं आया, तथापि के किनारे था, इस समय नष्ट हो गया मालूम अवश्य था । आदि-पर्व (१०६३) है। परन्तु यह निश्चित है कि, वह दिल्ली में लिखा है कि, राजा वसुके चार पुत्रोंने के उत्तर-पूर्व था। पांडवोंकी राजधानी-चार राज्य और नगर स्थापित किये थे। का ग्राम इन्द्रप्रस्थ यमुनाके पश्चिम किनारे उनमें एक कुशाम्ब था। अतएव यह स्पष्ट पर प्रसिद्ध है। वह अब भी दिल्लीके है कि, उसने जो राजधानी स्थापित की, दक्षिण ओर इसी नामसे प्रसिद्ध है। वह कौशाम्बी है। गङ्गा-यमुनाके सङ्गम पांडवोंने जो पाँच गाँव माँगे थे उनमेंसे पर प्रयागका नाम प्रसिद्ध है । वह वर्त- चारतो यह है-इन्द्रप्रस्थ, वृकप्रस्थ, माकन्दी मान प्रयाग ही है। उत्तर ओर अयोध्या और वारणावत । अन्य कोई एक मिलाकर शहर श्राजकलका ही अयोध्या है । मिथिला पाँच गाँव माँगे थे। इन्द्रप्रस्थके दक्षिण विदेह देशका शहर प्रसिद्ध है। अङ्ग देश- और यमुनाके किनारे पर वृकप्रस्थ था। की चम्पा राजधानीका नाम महाभारतमें गङ्गाके किनारे पर एक माकन्दी और पाया है। वह अाजकलके बिहार प्रान्तका यमुनाके किनारे पर दुसरी माकन्दी थी। चम्पारन है। भारती युद्धकालमें गङ्गा- चौथा गाँव वारणावत गङ्गाके किनारे पर यमुनाके 'प्रदेशमें भारती आर्योकी पूरी था । यह हाल आदि-पर्वसे मालूम होता बस्ती हो गई थी : परन्तु यह श्राश्चर्यकी है ( श्रादि० अध्याय १४६)। मत्स्योंकी बात है कि, उस समयके बहुत थोड़े राजधानी विगट नगर थी। इसके उत्तर शहर्गका वर्णन महाभाग्नमें आया है : ओर और इन्द्रप्रस्थ के दक्षिण और उपप्लव्य और उनमेमे बहुत थोड़े शहर आजकल नामका शहर था। विराट नगर जयपुरके शेष हैं । भीम काशिराजकी लड़कियाँ पास था। ऐसी दशामें उपलव्य जयपुर और हरण कर लाये थे, इससे यह अनुमान दिल्लीके बीचमें होना चाहिए। पांडवोंने किया जा सकता है कि, काशी शहर उस युद्ध की तैयारी उपप्लव्यमें की थी। शर- समय था । मगधोंकी राजधानी पाटलि- सेनोंकी राजधानी मयुरा थी । वही श्राज-पुत्र नहीं थी, किन्तु राजगृह थी । इसका कलकी मथुग नगरी है, जो यमुनाके वर्णन ग्रन्थों में भी है। बुद्ध इसीशहरमें गये किनारे है । दुपदोंकी राजधानी, गङ्गाके थे। यह शहर आजकल नष्ट हो गया है। उत्तर ओर, अहिच्छत्र थी। अहिच्छत्र मगधका पुण्यक्षेत्र गया उस समय अवश्य आजकल संयुक्त प्रान्तके रामपुरके पास प्रसिद्ध होगा। संयुक्तप्रान्तके एक और है। दुपदकी दूसरी राजधानी कांपिल्य नगरका नाम एकचक्रा पाया जाता है। थी। यह गङ्गाके पश्चिम किनारे पर होगी। बकासुर यहीं मारा गया था। यह शहर कान्य-कुछज गाधिकी राजधानी थी। यह गङ्गाके उत्तर ओर होगा। इसके बाद गङ्गाके पश्चिम किनारे पर आजकलका पञ्जाब प्रान्तके दो ही शहरोके नाम आये कन्नौज शहर है। यमुनाके दक्षिण किनारे हैं। एक शाकल और दूसरा तक्षशिला । पर चेदीका राज्य था। उनकी गजधानी दोनों शहर अाजकल नष्प्राय हैं । शाकल