सबसे बड़ा हीरा / 119 उत्पन्न हुए होंगे। प्रीमियर खान के पास जो ज्वाला-वमन हुआ होगा, उसका वेग बहुत ही प्रचण्ड रहा होगा। वेग ही की प्रचण्डता के कारण, जो हीरा निकला है, उसकी शिला के टुकड़े टुकड़े हो गये होगे । इस रत्न-शिला का जो टुकडा निकला है, वह छोटा नही है। वह बहुत बड़ा है । ग्वान के मालिक उसकी प्राप्ति मे बेहद खुश है। यह इस तरह की खुशी है कि इमने उनको अन्देशे में नही, खतरे तक में डाल दिया है। उनको यह विशाल हीरक-रत्न बोझ मा मालूम हो रहा है। कोई मामूली आदमी तो उसे खरीद ही नहीं सकता। यदि कोई खरीदंगा तो राजा या गजराजेश्वर । परन्तु राजेश्वरों को भी इमकी कीमत देते खलेगा। इस हीरे की कीमत नियत करना केवल एक काल्पनिक बात है; सिर्फ एक ख़याली अन्दाजा है। 1750 से 1870 ईसवी तक हीरे का दाम उमके वजन के वर्ग- मूल के हिसाब से लगाया जाता था । दूसरे देशो में हीरे की तौल कैरट से होती है । एक कंग्ट में चार ग्रेन होते हैं और एक माशे में कोई 15 ग्रेन । प्रत्येक हीरे की कीमत उसके रूप और द्युति के अनुसार होती है । किसी की थोड़ी होती है, किसी की बहुत । कल्पना कीजिा किमी हीरे की कीमत फ़ी कैरट 100 रुपये के हिसाब से निश्चित हुई, तो दो कैरट की कीमत 2 2= 100=400 रुपये और तीन कैरट की कीमत 3x3x100 =900 रुपये हुए। अब यह जो नया हीरा निकला है, इसकी कीमत इसी हिसाब से लगाइए। इसका वजन है 3032 कैरट । अतएव 3032 - 3032x100 = 91,93,02,400 रुपये क़ीमत हुई। एक अरब के क़रीब । कौन इतनी कीमत देगा? जब से अफरीका में हीरे निकलने लगे, तब से हीरो की कीमत नियत करने का यह तरीका उठ गया । परन्तु जौहरियों का अन्दाजा है कि यह विशाल हीरा 75,00,000 से 1,50,00,000 रुपने तक बिक जायगा। इतना रुपया क्या थोड़ा है ! बहुधा ऐसा होता है कि बडे बडे हीरो को काट काट कर छोटे छोटे टुकडं कर डाले जाते हैं। इस तरह उन्हे बेचने में सुभीता होता है। सम्भव है, इस हीरे की भी यही दशा हो। परन्तु इतने अच्छे और इतने बड़े हीरे को छिन्न-भिन्न कर देना बडी क्रूरता का काम होगा। तथापि बडे बडे हीरों को रखना धोखे और खतरे में पडना है। इतिहास इस बात की गवाही दे रहा है कि जिनके पास बड़े बड़े हीरे रहे है, उन्हे अनेक आपदाओं में फंसना पड़ा है। टिफ़ानी नाम की खान से 969 कैरट वज़न का जो हीरा निकला था, वह आज तक सब से बड़ा समझा जाता था । पर इस नये हीरे ने बड़ेपन में उसका भी नम्बर छीन लिया। जिम समय यह हीरा तराश कर ठीक किया जाएगा, उस समय उसकी सूरत और ही तरह की हो जायगी और वज़न भी उसका कम हो जायगा । तिस पर भी यह दुनिया भर के हीरों से कई गुना बड़ा रहेगा । प्रसिद्ध कोहेनूर हीरा काटने से वजन में बहुत कम हो गया है। उसका आकार भी छोटा हो गया है। पहले उसका वजन 793 कैरट था। परन्तु जिस आदमी ने उसे काट छांट कर ठीक किया, वह हीरा-तराशी के काम को अच्छी तरह न जानता था। इसका फल यह हुआ कि कोहेनूर का वजन सिर्फ 279 कैरट रह गया। वह एक बार फिर तराशा गया। इस बार कम होकर उसका
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