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पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/१८१

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बलगारिया | 177 याजक और पुरोहित ही पति-पत्नी के त्याग के मुक़द्दमों का विचार करते हैं । बलगारिया के स्त्री-पुरुष कपटप्रेम करना बहुत कम जानते हैं। पत्नी के अधिकारों पर पति आघात नही करता; पत्नी और पति ही की हर प्रकार सहायता करती है । इमी से पति-पत्नी में तलाक़ देने की नौबत बहुत कम आती है। साधारण जीवन व्यतीत करने पर भी बलगारिया निवासियों की तन्दुरुस्ती अन्य देशों के निवासियों की तन्दुरुस्ती से अच्छी है। उनका शरीर खूब दृढ़ और श्रमसहिष्णु होता है। रोग उन्हें कम सताता है । बलगारिया की राजधानी सोफ़िया बहुत सुन्दर और मनोरम नगर है। बलगारिया के स्वतन्त्र होने के पहले वह बड़ी बुरी दशा में था। उसकी आबादी उस समय केवल 20 हजार थी। उसकी गलियाँ तंग और गन्दी थों। चौड़ी सड़कें बहुत कम थी। किन्तु अब इस नगर की काया ही पलट गई है। अब तो इसकी आबादी कोई 1,25,000 है । चौड़ी-चौड़ी सड़कें और साफ सुथरी गलियां इसकी शोभा को बढ़ा रही है। इसके अनेक दर्शनीय और विशाल भवनों की निराली छटा दर्शक के मन को मोह लेती है। राजकीय भवन, बड़ा पोस्ट-आफ़िस. जातीय नाटक-भवन, युद्ध का दफ़्तर, नेशनल बैंक, विलियम ग्लेडस्टन हाई स्कूल, ग्रेड होटल, जातीय कृषि-बैक आदि अनेक विशाल इमारतें यहाँ अब शोभायमान हैं। नगर में रेल, नार, टेलीफ़ोन, मोटरकार, ट्रामवे, जल-कल और बिजली की रोशनी आदि का बहुत उत्तम प्रबन्ध है। बलगारिया बहुत छोटा राज्य है। उसकी आबादी और उसका क्षेत्रफल बहुत कम है। फिर भी उसकी सेना-संख्या कोई चार पाँच लाख है। [जनवरी, 1916 को 'सरस्वती' में प्रकाशित । 'दृश्य-दर्शन' में संकलित।