176/ महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली सोफ़िया और फिलिपोपोलिस में दो बड़े बड़े पुस्तकालय हैं। उनमें सब प्रकार की उत्तमोत्तम पुस्तकों का संग्रह है । इसके अतिरिक्त देश में कोई एक हजार के ऊपर वाचनालय हैं । बड़े बड़े नगरों के मुख्य मुख्य स्थानों में व्याख्यान-भवन भी हैं। उनमें अच्छे अच्छे व्याख्यान-दाताओ के व्याख्यान हुआ करते हैं । सर्व साधारण इन्हें वड़ी श्रद्धा से सुनते हैं। जैसा ऊपर कहा जा चुका है, भारतवर्ष की तरह बलगारिया भी कृषि-प्रधान देश है। वहाँ के अधिकांश निवासी खेती का काम करते है। प्रत्येक मनुष्य अपने खेत का कब्जेदार समझा जाता है । वह अपनी खेती की पैदावार का दसवाँ हिस्मा कर के तौर पर राज्य को देता है । कर न अदा कर सकने की हालत में वह जमीन मे वे-दखल किया जा सकता है। कृपको के सभीते के लिए बलगाग्यिा में कृषि-सम्बन्धी एक वैक है । देश भर में उसकी शाखायें वली हुई है। उनके द्वारा किमानो को कृषि के लिए आसानी से रुपया मिल जाता है । बलगाग्यिा में गेहूँ, धान, मक्का, जौ, बाजरा, ज्वार अधिक पैदा होता है । तम्बाकू, चुकन्दर और गुलाव की भी खेती वहाँ होती है । इन सब ची नो का चालान विदेश को होता है । गुलाब के फूलो से वहाँ इत्र बनता है । कोई 40 मन फूलो से आध सेर इत्र तैयार होता है। इत्र बड़ा बढ़िया होता है। वह पेरिस और लन्दन जाता है, जहां उमसे अनेक प्रकार के इत्र और तेल आदि वनने है। बलगारिया के मनुष्यो की रहन-सहन बहुत मीधी-सादी है । वे अपने घगे ही के बुने हुए मोटे कपड़े पहनते है । वे शौकीन नही । फ़िजूल चीजो के लिए वे अपना धन लुटाना उचित नहीं मसझते । अमीर आदमी तक छोटे छोटे घरो में रहते है। घगे का फ़र्श मिट्टी ही का होता है । उन्हे चटक मटक बिलकुल पसन्द नहीं । बलगारिया के निवामी अपनी इस स्थिति से यथेष्ट मन्नुष्ट रहते है । यही कारण है जो वे सर्वदा प्रसन्न और हृष्ट-पुष्ट देख पड़ते है। मितव्यय करने के कारण वे हर साल कुछ न कुछ रुपया बचा लेते हैं। बलगारिया वाले भले-बुरे काम का अच्छा ज्ञान रखते है। आप किसी से कोई अनुचित काम करने के लिए कहें तो वह फौरन जवाब देगा कि वैसा करने के लिए उसकी आत्मा गवाही नहीं देती; वैमा करना उसके लिए लज्जाजनक है। वह अपना समय व्यर्थ वाद-विवाद और भले-बुरे की व्याख्या में न बितायेया । बलगारिया में अनेक जातियों और धम्मों के मनुष्यों का निवास है । वे सभी अपने अपने विश्वास के अनुसार धर्माचरण करने के लिए स्वतन्त्र हैं । कभी किसी के धर्माचरण में किसी प्रकार का आघात नही होता । बलगारिया के अधिकांश निवासी आरथोडाक्म चर्च नामक ईमाई मम्प्रदाय के अनुयायी हैं । इस सम्प्रदाय के प्रधान पादरी सर्वसाधारण प्रजा के द्वारा चने जाते है । बलगारिया में लड़की और लड़कियों के विवाह का समय नियत है। विवाह के समय लड़के की उम्र 19 और लड़की की 17 साल से कम न होनी चाहिए। विवाह का मारा कार्य वहां के पुरोहितो और धर्म-याजकों द्वारा सम्पन्न होता है । धर्म- म.दि.1-4
पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/१८०
दिखावट