पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२४०

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236 / महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली रत्न जड़े हुए हैं । आप कैमरा लिये हुए अकसर फ़ोटो उतारा करते हैं । आपके महल में अनेक बेगमें हैं। उन तक के फ़ोटो आप उतारते हैं। इतना ही नहीं; उन्हें लोगों को दिखलाते भी हैं । अँगरेजों के सामने ये फ़ोटो अकसर पेश होते हैं । इस बात से मुल्तान के अमीर-उमरा अप्रसन्न हैं । एक तो इस तरह के चित्र उतारना ही मुसलमानी धर्म के खिलाफ़ है; दूसरे विकट पर्दे में रहने वाली सुल्तान-बीवियों के चित्र खुल्लम-खुल्ला औरों को दिखलाना तो स्वतन्त्रता की हद हो गई। लोग समझते हैं कि सुल्तान में पश्चिमी सभ्यता की बू समा गई है। वे इसे अनुचित ससझते हैं । मुल्तान अब्दुलअजीज के दादा एक बार नज़रबाग में अपनी बेगमो के साथ हवा खाने गये। वहाँ एक कृत्रिम तालाब था। उममें छोटी छोटी नावें पड़ी थी। सुल्तान अपनी एक प्यारी बेगम को लेकर एक नाव पर सवार हुए और जल-विहार करने लगे। दुर्दैव से नाब उलट गई। मुल्तान तो किसी तरह निकल आये । पर सुल्ताना डूबने लगी और मदद के लिए चिल्लाई । दूर खड़े हुए एक मन्त्री ने उनकी आवाज़ मुनी । वह दौड़ा आया और उन्हे डूबने से बचाया। इस पर बूढ़े सुल्तान बहुत ही अप्रसन्न हुए। उन्होने बेगम की जान बचाने के उपलक्ष्य में उसका सिर कटवा दिया। सुल्तान की बेगम मर चाहे जाय, पर उसके बदन पर दूसरे का हाथ न लगे । इन्ही सुल्तान के पौत्र अपनी असूर्य्यम्पश्या बेगमो के चित्रो की प्रदर्शनी करते है । मुल्तान को विलायती चीजे बहुत पसन्द है । उन्होंने मामूली बाइसिकल, मोटर बाइसिकल, मोटरगाड़ी, मोटरनाव, गुब्बारे इत्यादि चीजें मंगाई हैं। 12 घोड़ो की नाक़त रखने वाला एक एंजिन भी उन्होंने मँगाया है । अपने महल के अहाते में 3 मील लम्बी लोहे की पटरी सुल्तान ने विछवाई है। दो तीन बहुत ही अच्छी गाड़ियो में इस एंजिन को जोड़ कर सुल्तान खुद उसे चलाते हैं । गाड़ियों में मुल्तान की बेगमे बैठकर मुसाफिरी करती हैं और सुल्तान ड्राइवरी। सुल्तान अब्दुलअजीज योरप और अमेरिका के कला-कौशल की बड़ी तारीफ़ करते हैं । सिनिमेटोग्राफ़ की बदौलत उन्होने सारे योरप को अपने महल में बुला लिया है । वहाँ के सैकड़ों दृश्य इमी यन्त्र की सहायता से वे देखा करते है। लन्दन, पेरिम और न्यूयार्क की सड़कों में गोया वे हर रोज़ घूमा करते हैं । राजकीय कामों को सुल्तान खुद देखते है, सब काग़जात पढ़ते है और हुक्म देते है। वजीगें ही की आँखों से वे नहीं देखते । उन्हें खुशामद पमन्द नहीं। योरप के मर्व- माधारण जनों की गय की वे बहुत परवा करते है । वहाँ के अख़बार पढते है और जी- जान मे अपने देश का सुधार करना चाहते हैं । पर यह मुधार ही लोगों को विप हो रहा है। वे नहीं चाहते कि योरप की शिक्षा और मभ्यता का प्रचार हो रहा है। वे नहीं चाहते कि योरप की शिक्षा और सभ्यता का प्रचार वहाँ हो । ऐसे ही अनेक कारणों से मुलान का एक प्रतिपक्षी खड़ा हो गया है। वह अकसर दंगे-फ़िमाद किया करता है। उसने कुछ फ़ौज भी इकट्ठी कर ली है । इस कारण मुराको में कहीं कहीं अराजकता फैल गई है। अंगरेज़ ग्रन्थकारों की राय है कि सुल्तान की योग्यता में कुछ कसर नहीं । वे