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पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३०

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बाली द्वीप में हिन्दुओं का राज्य भारत-महासागर और प्रशान्त महासागर जहाँ पर मिलते हैं वही सुमात्रा, जावा आदि बहुत से द्वीप हैं। किसी समय इन द्वीपों में हिन्दुओं का राज्य था। संस्कृत भाषा और हिन्दु धर्म ने यहाँ पर अपना अटल प्रभाव जमा लिया था। इस बात के यहाँ सैकड़ों चिह्न पाये जाते है। चौदहवीं शताब्दी में मुसलमानों के आक्रमण के बाद इन द्वीपो में हिन्दुओं का प्रभाव घटने लगा। धीरे धीरे हिन्दू धर्म, हिन्दू राज्य और संस्कृत भाषा का यहाँ लोप हो गया। इन द्वीपों के अधिकांश अधिवासी मुसलमान हो गये । परन्तु जो लोग अपने धर्म को अपनी जान से अधिक प्यारा समझते थे वे मुसलमान-संसर्ग-पित बड़े बड़े द्वीपों को छोड़ कर छोटे छोटे टापुओं में जा बसे । बाली, लम्बक आदि द्वीप इमी प्रकार के छोटे टापुओं में हैं । इन टापुओं में अब भी हिन्दू धर्म और हिन्दू राजाओ का राज्य है। बाली और लम्बक द्वीप जावा के पूर्व हैं। यों तो यहाँ पर सैकड़ो छोटे छाटे द्वीप हैं, पर हिन्दुओं का राज्य केवल इन्हीं दो द्वीपों में बाकी रह गया है। जिन लोगों ने इन दोनों द्वीपो को देखा है उनका कथन है कि ये द्वीप प्राकृतिक सौन्दर्य में अद्वितीय हैं । यहाँ के नगर और ग्राम संसार के बड़े बड़े सुन्दर, मनोहर और शोभा सम्पन्न स्थानों से टक्कर ले सकते हैं । बाली की बनावट बड़ी विचित्र है। वह बीच में तो खूब ऊँचा है, पर चारो ओर ढालू होता चला गया है। कहते हैं कि इन दोनों द्वीपों के चारों तरफ का समुद्र सदा तरंगसंकुल रहता है। वहाँ अकसर तूफान आया करते हैं । इसलिए जहाज के द्वारा इन टापुओं में जाना बड़ा विपज्जनक है। बाली और लम्बक द्वीप के आदिम निवासियों को शशक कहते हैं । उनको पगजित करके हिन्दुओं ने वहाँ अपना राज्य स्थापित किया। सुनते हैं कि लम्बक द्वीप के कुछ शशक इस समय मुसलमान हो गये है । परन्तु वहाँ के अधिकांश निवासी हिन्दू ही हैं और उन्ही का इन द्वीपो में राज्य है । हिन्दू लोग शशक मुसलमानों पर किसी प्रकार का अत्याचार नही करते, किन्तु उन लोगों से अच्छी तरह मिलते जुलते हैं । यहाँ का राज्य यद्यपि राजतन्त्र है, नथापि सर्वसाधारण जन राज-शासन से अप्रसन्न नहीं है । हाँ, इसमें सन्देह नही कि किसी किसी अपराध का दण्ड बड़ा ही कठोर है । इन राज्यों में चोरो को अव भी प्राणदण्ड दिया जाता है। व्यभिचारी (स्त्री पुरुष दोनों ही) बाँधकर समुद्र में फेंक दिये जाते है । मतीत्व धर्म का इतना अधिक सम्मान किया जाता है कि पता लगते ही अमती स्त्रियाँ तुरन्त मार डाली जाती हैं । एक बार किसी व्यभिचारिणी स्त्री को एक यूरोपियन सौदागर ने अपने यहाँ रख लिया। खबर लगते ही राजा का दूत साहेब के घर पहुँचा। साहेब और कुलटा एक कमरे में बैठे बात कर रहे थे। यह देखते ही राज- दूत त्रोध से जल उठा। उसने आव देखा न ताव, म्यान से तलवार निकाल कर उस