पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३३

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बाली द्वीप में हिन्दुओं का राज्य / 29 ? भिन्न आचार-व्यवहार और भाषायें प्रचलित हैं तब यदि समुद्र पार के द्वीपों की भाषा, आचार और व्यवहार भारत की भाषा, आचार-व्यवहार से कुछ कुछ भिन्न हो जाये तो आश्चर्य ही क्या है ? इस भिन्नता के होते भी भारतवर्षीय हिन्दुओं और बाली आदि द्वीपों के हिन्दुओं के आचार-व्यवहार और भाषा में बहुत कुछ सादृश्य वर्तमान है । जो हो, इसमें सन्देह नहीं कि इन द्वीपों के हिन्दू भारत के प्राचीन हिन्दुओं के अध्यवसाय की कीति-चिह्न-स्वरूप होकर अब भी उनकी पताका फहरा रहे हैं। 1 ['श्रीयुत भुजंगभूषण भट्टाचार्य' नाम से मई, 1911 को 'सरस्वती' में प्रकाशित । 'अतीत-स्मृति' में संकलित ।)