पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३३९

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पासंदर्भ जर्मनी॥ एडमिरल वान टिरपिज - - जर्मनी के कुस्ट्रियन नामक मौजे में टिरपिज का जन्म हुआ। उन्होंने यद्यपि अच्छे घराने में जन्म लिया तथापि वह जर्मनी के बड़े घरानों में नही गिना जाता था। टिरपिज़ बचपन ही से खूब हृष्ट-पुष्ट थे। उनकी बुद्धि भी तेज़ थी। वे बड़े शरीर थे। अतएव उनके पिता ने टिरपिज़ को एक लड़ाकू जहाज़ पर नौकर करा दिया। उस समय जहाजों पर प्रायः 'बड़ो का बोलबाला' था। सिफ़ारशी टटू अमीरो ही का वहाँ इजारा सा था। इस कारण टिरपिज़ को अपनी उन्नति करने में कितनी ही कठिनाइयो का मामना करना पड़ा तथापि अपने स्वाभाविक गुणों के बल पर वे दिन पर दिन उन्नति करते गये । उनके हाथ में अधिकार आने पर अमीरो की दाल न गलने लगी। यहाँ तक कि खुद कैमर तक की सिफ़ारिश की वे परवा न करने लगे। टिरपिज ने जहाजी समर-विद्या का यथेष्ट ज्ञान सम्पादन कर लिया था। काम करने की उमंग उनमें खूब थी। उद्योगी भी बहुत थे । दूमों पर किस प्रकार अपना गौरव जमाना चाहिए, यह तो वे खूब ही जानते थे। इसी कारण वे बीस ही वर्ष की उम्र में लेफ्टिनेंट हो गये। पाँच वर्ष बाद उन्हें लेफ्टिनेट कमाण्डर का पद मिला और थोड़े ही दिनो बाद वह रियर एडमिरल के पद पर प्रतिष्ठित किये गये । जिस दिन से टिरपिज़ ने टारपेडो नामक जहाजनाशक नावों का जोड़ा तैयार किया उस दिन से कैसर उन्हें बड़े आदर की दृष्टि से देखने लगे। टिरपिज़ ही ने किया (चीन) में जर्मन उपनिवेश की स्थापना की। जर्मनी की जहाजी बेड़े की उन्नति का एक मात्र कारण टिरपिज़ ही हैं। इस बेड़े को उन्नत और बलशाली करना वे जर्मनी के लिए बहुत ही आवश्यक समझते है । यहाँ तक कि जो लोग जहाज़ी बेड़े की विशेष उन्नति करने के पक्ष में नहीं उनको वे देश- द्रोही तक कह डालते हैं। जर्मनी के जहाज़ी बेड़े की उन्नति के लिए टिरपिज़ ने अत्यन्त परिश्रम किया। उपाय भर उन्होंने कुछ भी कसर नही की । उन्होंने अख़बारों में लेख लिखे, सभा-समितियाँ स्थापित की, जहाजी शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था कराईं, पुस्तकें प्रकाशित कराई और व्याख्यान दिलवाये । अंगरेज़ों का जहाज़ी बेड़ा दुनिया में अपना सानी नहीं रखता। अतएव विद्यार्थियों को इंगलैंड भेज भेज कर अँगरेज़ों के जहाज़ी बेड़े का हाल जानने और उनका ज्ञान प्राप्त करने की भी उन्होंने बड़ी चेष्टा की। फल यह हुआ कि आज जर्मनी के टारपेडो, ट्रेडनाड और पनडुब्बी नावों की धूम मच रही है । टिरपिज में अपने पक्ष की बात का प्रतिपादन करने की शैली अपूर्व है। प्रति- पक्षियों के विचारों का खण्डन और उनके मतों का मण्डन जब वे करने लगते हैं तब जी चाहता है कि उन्हीं की बात मान लें। अपने तथा अन्य राष्ट्रों के जहाज़ी बेड़ों के विषय का ज्ञान वे पूरा पूरा रखते हैं। किस देश में, कितने जहाज हैं, उनके लिए वहां कितना