पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३४७

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वाल्ट बिटमैन / 343 Not physiognomy alone, nor brain alone, is worth the Muse. I say, the form complete is worthier far, the female equally with the male I sing. इसका मतलब यह है-मेरे गान का विषय क्षुद्र है; फिर भी वह महत्तम है। वह है अपनी आत्मा, सबसे विलक्षण वस्तु, सबमे भिन्न साधारण व्यक्ति। मै इसे नवीन विश्व के हितार्थ गाता हूँ; नख से शिख पर्य्यन्त में मनुष्य का शरीर-विज्ञान गाता हूँ। सिर्फ उसका लक्षण अथवा उसका मस्तिष्क कविता देवी के योग्य नहीं । मैं कहता हूँ, उसका सम्पूर्ण रूप ही योग्यतर है। स्त्री के माथ पुरुष के विषय मे मैं गान करता है। वाल्ट ह्विटमैन का जन्म वेस्ट हिल्स, लाँग आइलैंड, न्यूयार्क में, 1819 ईनवी की 31 मई को हुआ था। उसका पिता पहले खेती करता था। फिर वह बढ़ई का धन्धा करने लगा। कुछ समय तक वह कारीगर भी रहा। वाल्ट 9 भाई-बहन थे । वह अपने बाप का दूसरा लड़का था। उसकी प्रारम्भिक शिक्षा ब्रुकलिन नगर में हुई। तेरह ही वर्ष की अवस्था में उसे जीविका-निर्वाह के लिए काम करना पडा। पहले उसे चिट्ठी- रमानी का काम मिला। फिर उसने एक छापेखाने में काम किया। इसके बाद वह एक देहाती स्कूल में मास्टर हो गया। 1836 में उसने एक सामयिक पत्र निकाला। उसका नाम रक्खा गया 'लाँग आइलैडर' (Long Islander)। 1839 तक उसका सम्पादन उसी ने किया । फिर वह ब्रुकलिन से प्रकाशित होने वाले एक दैनिक पत्र का सम्पादक हुआ। 1849 में वह न्यू आरलीन्स (New Orleans) के 'क्रेसेन्ट' (Crescent) नामक सामयिक पत्र के सम्पादन-विभाग में नियुक्त हुआ। दो वर्ष बाद वह ब्रुकलिन के एक छापेखाने में प्रिण्ट र हुआ। इसके बाद वह अपने पिता का ही व्यवसाय करने लगा। पर मासिक पत्रो में उसके लेख बराबर निकलते रहे। 1855 में उसकी कविताओं का एक संग्रह प्रकाशित हुआ। उसका बड़ा विचित्र नाम था-'Leaves of Grass' अर्थात् घास के पत्ते। कुछ समय तक तो जनता का ध्यान उसकी ओर आकृष्ट नहीं हुआ। पर कुछ समय बाद राल्फ वाल्डो इमरसन नामक विद्वान् ने उमकी प्रशंसा में एक पत्र न्यूयार्क 'ट्रिब्यून' नामक पत्र में प्रकाशित किया । तब से लोग उसे जानने लगे। 1856 ईसवी मे उमकी कविताओं के संग्रह का दूसरा संस्करण निकला। इसके बाद 1880 में उसका एक और परिवधित संस्करण निकाला गया। उसके आरम्भ मे एक भूमिका थी। भूमिका क्या थी, कवि और काव्य पर एक निबन्ध था। उसकी कुछ बातें सुन लीजिए । उनमे आप जान सकेंगे कि कवि के कर्तव्य के विषय में ह्विटमैन के विचार कैसे थे- कवियो के लिए कोई भी विषय छोटा नही । जिसे साधारण जन क्षुद्र समझते है वह भी कवि के हाथों में पड़कर महान हो जाता है। कवि उसमें नया जीवन डाल देता है। कवि द्रष्टा है । उसमें और दूसरे लोगों में इतना ही भेद है कि वह देखता है और दूसरे देखते नहीं; और जब देखते हैं तब कवि ही की दृष्टि से देखते हैं । कवित्वगुण न तो शब्दों के झंकार में रहता है और न यमक और अनुप्रास के आडम्बर में । न वह शिक्षा- पूर्ण पद्यों में है और न विषादात्मक रचनाओं में। उसका जन्म-स्थान आत्मा है। इसलिए