पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३७६

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372 / महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली होती तो वे ध्रुव की यात्रा में अपने साथ किसी सभ्य आदमी को ज़रूर ले जाते। जंगली यस्किमो लोगों ही को वे अपना मददगार न बनाते । खैर, जिन दो जंगली आदमियों को वे कहते हैं कि मेरे साथ थे उन्हीं को हाज़िर करें। क्यों वे उन्हें वहीं छोड़ आये ? बिना बरसों पहले से तैयारी किये, मछली मारने की एक साधारण सी नौका पर सवार होकर, कोई उत्तरी समुद्र की यात्रा नहीं कर सकता। अमेरिका के न्यूयार्क नगर से 'सायंटिफिक अमेरिकन' नाम का एक वैज्ञानिक पत्र बहुत प्रतिष्ठित समझा जाता है । इसके लिखने के तर्ज से मालूम होता है कि यह डाक्टर कुक ही को उत्तरी ध्रुव का आविष्कारक समझता है । उसने पहले तो कुक की यात्रा का संक्षिप्त समाचार प्रकाशित किया; फिर पत्र के दूसरे अंक में पीरी और कुक के झगड़े पर अफ़सोस ज़ाहिर करके यह राय दी कि पीरी ने यह बहुत ही अनुचित वात की जो लबराडोर से तार द्वारा कुक के आविष्कार को झूठा ठहराया। इसी अंक में उसने सेक्सटंट नामक यन्त्र द्वारा आकाश में सूर्य की अवस्थिति और अक्षांश आदि जानने की तरकीब भी प्रकाशित की। आपने लिखा कि इस यन्त्र के द्वारा वैज्ञानिक जाँच करना कोई कठिन काम नही, अतएव डाक्टर कुक ने उत्तरी ध्रुव पर पहुँच कर जरूर ही इस यन्त्र के द्वारा सब बातें जान ली होंगी। क्यों न हो! आपके इम वैज्ञानिक औदार्य का मतलब डाक्टर कुक ही नही और भी लाखों आदमी समझ गये होगे । खैर आपने यह सब करके पीरी की यात्रा का भी कुछ हाल अपने पत्र में छापा है । इस कृपा के लिये कमांडर पीरी जरूर ही आपके कृतज्ञ होगे। अंगरेजी के प्रसिद्ध मासिक पत्र 'रिव्यू आव रिव्यूज' के सम्पादक स्टीड साहब डाक्टर कुक से मिलने डेनमार्क की राजधानी कोपिनहेगिन गये थे। उनकी राय है कि कुक बड़े सच्चे आदमी हैं । वे ज़रूर उत्तरी ध्रुव तक हो आये है । सम्भव है पीरी भी हो आये हों। पर डाक्टर कुक के बाद पीरी पहुँचे होगे। स्टीड साहब पीरी को सज्जन नहीं समझते । वे कहते हैं कि पीरी को डाक्टर कुक पर यह अभिशाप न लगाना चाहिए था कि वे झूठे हैं। डाक्टर कुक ने पीरी पर ऐसा अभिशाप नहीं लगाया। पीरी ने कप्तान बर्टलेट को अपने साथ ध्रुव तक ले जाने से इनकार कर दिया। लौटते वक्त डाक्टर कुक के यन्त्र और काग़जात भी अपने जहाज़ पर लाने से उन्होंने इनकार किया । यह उन्होंने भलममी का काम नहीं किया। इससे उनका ईर्षाद्वेष प्रकट होता है। अतएव डाक्टर कुक के खिलाफ़ कही गई उनकी बातें नहीं मानी जायेगी। खैर । पीरी ने अपनी यात्रा का संक्षिप्त हाल 'न्यूयार्क टाइम्स' नामक पत्र में प्रकाशित कराया है । डाक्टर कुक और कमांडर पीरी में से कौन सच्चा और कौन झूठा है, इसका निश्चय तो कुछ दिनों में हो ही जायगा। तब तक पीरी की यात्रा का थोड़ा सा वृत्तान्त सुन लीजिए। अमेरिका के एक अमीर आदमी उत्तरी समुद्र में शिकार खेलने जाते थे। उन्होंने कहा, डाक्टर कुक, तुम भी चलोगे ? कुक ने कहा, बहुत अच्छा, खुशी से । बस डाक्टर साहब उनके साथ चल दिये । वहाँ एव जगह आपने बहुत से यस्किमो जाति के आदमियों को देखा । खाने का सामान भी बहुत सा आपको मिल गया। बस आपने ठेठ उत्तरी