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पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/४८५

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यूरोप के इतिहास से सीखने योग्य बातें /481 प्रतिज्ञा करके कुछ बड़े बड़े सरदारों को अपनी ओर मिला कर, रानी मेरी ने किसी प्रकार वह बलवा शान्त किया। इसके बाद उसने फ़िलिप के साथ विवाह कर ही लिया और, अब, वह प्रोटेस्टेन्ट लोगों से भयानक क्रूरता से बदला लेने लगी। उसने अपनी चचेरी बहिन लेडी जेन ग्रे को (जो प्रोटेस्टेन्ट थी-परन्तु विलकुल निरपराध थी) मरवा डाला और छोटी सगी बहन एलीजावेथ को (जो मेरी के बाद इंगलैड की गनी हुई) कैद कर लिया । उसने पारलियामेंट से यह कानून बनवा लिया कि जो लोग पोप की सत्ता न मानेंगे और उसके स्थापित किये हुए धर्म पर विश्वास न रक्खेगे वे नास्तिक तथा अधाम्मिक (Heretics) समझे जाकर आग में जिन्दा जला दिये जायेंगे ! इस भयानक कानून के अनुसार काररवाई भी की जाने लगी और सत्य, धर्म-विश्वास, ज्ञान-निष्ठा, ईश्वर-भक्ति, आत्म-निश्चय और स्वमतानुसार आचरण करने की स्वाधीनता इत्यादि सारे देवी गुणों की परीक्षा का समय आ पहुंचा ! सन् 1555 के आरम्भ में, रानी मेरी के भयानक द्वेषाग्निकुण्ड में, प्रोटेस्टेन्ट लोगो का बलिदान दिया जाने लगा । फ़रवरी में हूपर, सांडर्स और रोजर्स नाम के प्रोटेस्टेन्ट पादरी और उपदेशक जिन्दा जला दिये गये । मार्च में आठ, अप्रैल में चार, मई में चार, जून में छः, जुलाई में ग्यारह, अगस्त में अठारह और सितम्बर में ग्यारह आदमी जला कर भस्म कर दिये गये । आक्टोबर में जो लोग जलाये गये उनकी संख्या निश्चित नही है; परन्तु उन लोगों में रिड्ले और लेटिमर नाम के दो प्रसिद्ध धर्मोपदेशक थे। जलती हुई आग में पड़े पड़े लेटिमर ने रिड्ले को पुकार कर कहा-'Play the man, Master Ridley, he shall this day light up such a candle, by God's grace, in England, as I trust, shall never be put out.'? aperfa 3775T TRÀYTT की कृपा से | इंगलैंड में ऐसी ज्योति प्रदीप्त करेंगे जो कभी न बुझ सकेगी ! जिन प्रोटेस्टेन्टों ने अपने मत की रक्षा में प्राण त्याग किये उनकी कथाओं का वर्णन करना असम्भव है । रोलैंड टेलर नाम के एक पादरी के जलाये जाने की कथा ऐमी भयानक और हृदयद्रावक है कि पढ़ते पढ़ते आँखों से आंसू टपकने लगते है । जी चाहता है कि वह कथा विस्तृत रीति से यहाँ लिख दी जाय; परन्तु लेख की पृष्ठ-मर्यादा बढ जाने का भय है अतएव संक्षेप में अब इतना ही कहना है कि रानी मेरी ने लन्दन, केन्ट, ससेक्स और पूर्व भाग के शहरो में भयानक अत्याचार किया। उसने अपने शासन-काल के अन्तिम तीन वर्षों मे (सन् 1555 से 1558 तक) पाँच सौ से अधिक लोगों को जिन्दा जलाकर भस्म कर दिया ! परन्तु, तिस पर भी, नूतन परिवर्तित धर्म के अनुयायियों ने अपने मतों का 1. Cf.—“'I promise you, on the word of a queen, that, if it shall not appear to the Lords and Commons in Parliament to be for the benefit of the whole realm, I will never marry while I live. Where fore, stand fast against these rebels your enemies and mine + + +" - Readings from English History" 2. 'Outlines of English History', by S.S. Gardiner. p. 164