योरप में कालिदास कवि का जन्म मानव-जाति का कल्याण करने के लिए होता है। उसकी कृति पर किमी एक ही देश अथवा जाति का अधिकार नहीं रहता। वह समस्त विश्व के लिए है; उमके काव्य पर सम्पूर्ण मानव-जाति का समान अधिकार रहता है। शेक्सपीयर की जन्मभूमि होने का गर्व इंगलैंड को है; पर आज सभी देशों में उसका यशोगान होता है; सभी उस की रचनाओं से शान्ति-लाभ करते हैं । जर्मनी ने तो यह बात अभिमानपूर्वक कही है कि शेक्सपीयर हमारा है। इसमें सन्देह नहीं कि कुछ कवि ऐसे भी होते हैं जिनका सम्बन्ध केवल एक ही देश अथवा काल से रहता है। ऐमों की गणना विश्व-कवियों में नहीं होती। दिन कवि तो वे होते हैं जिनकी कविता से प्रभावान्वित होकर मनुष्य अपनी अहन्ता, अपना वैरभाव और अपना व्यक्तित्व तक भूल जाता है। यदि पृथ्वी पर कभी 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का सिद्धान्त प्रचलित होगा तो वह ऐसे ही कवियों के द्वारा होगा। कालिदास विश्व-कवि हैं। उनकी जन्मभूमि होने का गौरव तो भारतवर्ष ही को है, पर अब उनकी कृति संसार की सम्पत्ति हो गई है। सभी उमका उपभोग कर रहे है। जब तक संस्कृत भाषा का प्रचार योरप में नहीं हुआ था तब तक कालिदास की कीर्ति-प्रभा भारतवर्ष मे ही अवरुद्ध थी। पर अब उनकी ज्योति योरप में भी फैल गई है और बढ़ती जा रही है । कुछ ही समय बाद वह सम्पूर्ण ससार में व्याप्त हो जायगी। ऐसा होना असम्भव नहीं। कालिदास के काव्य यथार्थ ही सार्वजनिक और सार्वकालिक योरप में कालिदास के काव्यों का प्रचार सबसे पहले सर विलियम जोन्स किया। सर विलियम जोन्स भारतवर्ष में न्यायाधीश होकर आये थे । यहाँ आने पर उन्हें हिन्दू धर्म-शास्त्र समझने के लिए संस्कृत भाषा का अध्ययन करना पड़ा। संस्कृत सीखने में उन्हें कितनी कठिनाई पड़ी, उसे यहाँ बताने की जरूरत नहीं । 'सरस्वती' में यह हाल प्रकाशित भी हो चुका है । संस्कृत पढ़ते समय उन्हें अपने गुरु से यह जान कर बड़ा कौतूहल हुआ कि संस्कृत भाषा में नाटक भी है और वे कभी रंगभूमि पर खेले भी जाते थे। तब उन्होने अपनी कौतूहल-निवृत्ति के लिए आने गुरु से कालिदास का 'अभिज्ञान-शाकुन्तल' पढा। वह उन्हें इतना पसन्द आया कि उन्होंने ग्सका अनुवाद अंगरेजी में कर डाला । वह अनुवाद कुछ अच्छा न हुआ था, तो भी उसे पढ़ कर जर्मन कवि गेटी मुग्ध हो गया। शकुन्तला की प्रशंसा में उसने एक पद्य-रचना भी कर डाली। उसका मतलब यह था-"अगर कोई वसन्त के फूल और शरद ऋतु के फल पाने की अभिलाषा करे-अगर कोई मन को अपनी ओर खींचने वाले अर्थात् वशीकरण की, वस्तु देखना चाहे- -अगर कोई स्वर्ग और पृथ्वी को एक जगह देखने की इच्छा करे, तो वह कालिदास के 'अभिज्ञान-शकुन्तल' को पढ़े' । गेटी जर्मनी का साहित्य-सम्राट् था।