सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:मानसरोवर भाग 3.djvu/१४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

विकार ९४७ सरो-ही-हां, पहले चलकर उससे क्षमा मांगो, दमने उनके साथ जरूरत से ज्यादा सख्ती को। पासोनियम-आप लोगों ने पूछा होता तो मैं कल ही सारी बातें आपको बता देता, तम आपको मालूम होता कि मुझे मार डालना उचित है या जीता रखना। कई स्त्री-पुरुष-- हाय-हाय 1 हमने एकी भूल हुई। हमारे सच्चे पासोनियस ! सहसा एक वृद्धा स्त्री किसी तरफ से दौड़ती हुई आहे और मन्दिर के सबसे ऊँचे जीने पर खड़ी होफर बोली-तुल लोगों को क्या हो गया है। यूनान के बेटे आज इतने ज्ञानशून्य हो गये हैं कि मूठे और सच्चे में विवेक नहीं कर सकते ! तुम पासोनियस पर विश्वास करते हो ? जिस पसानियम ने सैकड़ों स्त्रियों जौर बालकों को मनाथ कर दिया, सैकड़ों घरों में कोई दिया जलानेवाला न छोड़ा, हमारे देवतों का, हमारे पुरुषों का, घोर अपमान किया, उसको दो-चार चिकनी-चुपड़ी बातों पर तुम हनने फूल उठे। याद रखो, अबको पायोनियस बाहर निकला तो फिर तुम्हारी कुशल नहीं, यूनान पर ईरान का राज्य होमा और यूनानी ललनाएँ रानियों को कुदृष्टि का शिकार बनेगी। देवी की आज्ञा है कि पासोनियस फिर पाइर न निकलने पाये । अगर तुम्हें अपना देश प्यारा है, अपने पुरुषों का नाम प्यारा है, आनो मासाओं और पहनों की मानरू प्याही है तो मन्दिर के द्वार का चुन दो जिसमें इस देश-द्रोहो को फिर बाहर निकलने और तुम लोगों को महकाने का मौका न मिले। यह देखो, पहला पत्थर मैं अपने हाथों से रखतो हूँ। लोगों ने विस्मित होकर देखा--यह मन्दिर को पुनारिन ओर पासोनियस को माता थी। दम-के-दस में पत्थरों के ढेर लग गये और मन्दिर का द्वार चुन दिया गया। पासोनियस भीतर मौत पोसता रह गया । पीर माता, तुम्हें धन्य है। ऐसी हो माताओ से देश का मुख उज्ज्वल होता है, जो देश हित के सामने मातृ-स्नेह को धूल घराबर भी परवा नहीं करती। उनके पुन देश के लिए होते हैं, देश पुत्र के लिए नहीं होता ।'