खान० हुजूए को कम-से-कम एक बोतल साथ रख लेनी चाहिए थो। जेब में
डाल लेते
मैं-इतनी हो तो भूल हुई भाई, नहीं रोना काहे का था ।
खान नींद भी न आती होगी?
मैं-सो नींद, दम लयों पर है, न जाने रात कैसे गुलरेगी ।
मैं चाहता था, खानसामा अपनी तरफ से मेरी.अग्नि को शांत करने का प्रस्ताव
करे, जिसमें मुझे लज्जित न होना पड़े। पर खानसामा भो चट था। बोला-अल्लाह
का नाम लेकर सो जाइए, नोंद कर तक न आवेगी।
मैं-नोद तो न आयेगी । हो, मर भले हो जाऊँगा। क्या साहब गोतलें गिन-
कर रखते हैं ? गिनते तो क्या होंगे ?
खान० -अरे हुजूर, एक ही मूशो है। बोतल पूरी नहीं होती, तो उस पर
निशान दना देता है । मजाल है कि एक बूंद भी कम हो जाय ?
मैं-बड़ी मुसीबत है, मुझे तो एक गिलास चाहिए । बरा, इतनी हो चाहता हूँ
कि नोंद आ जाय । जो इनाम कहो, वह दूं
खान- इनाम तो हुजूर देंगे ही, लेशिन खौफ यही है कि कहीं भाप गया, तो
फिर मुझे जिन्दा न छोड़ेगा।
मैं-यार, लायो, अब ज्यादा सब को ताव नहीं है।
-आपके लिए जान हाजिर है; पर एक बोतल १०) में आता है।
मैं कल खिसी बेगार से मँगाकर तादाद पूरी कर दूंगा।
मैं-एक बोतल थोड़े ही पी जाऊँगा।
खान. साथ लेते जाइएगा हुजूर ! आधी योतल खाली मेरे पास रहेगी, तो
उसे फौरन् शुभा हो जायगा। बड़ा शक्को है, मेरा मुँह सूंघा करता है कि इसने
पीन लो हो।
मुझे २०) मिहनताने के मिले थे। दिन-भर की कमाई का साधा देते हुए
इलक तो हुआ, पर दूसरा उपाय हो क्या था। चुपके से १०) निकालकर खानसामा
के हवाले किये। उसने एक पोतल अंगरेजी शराम मुझे ला दो । बरफ और सोग
भी लेता आया। मैं वहीं अँधेरे में मोतल खोलकर अपनी परितप्त भात्मा को सुधा-
जल से सिचित करने लगा।
3
खान-
पृष्ठ:मानसरोवर भाग 3.djvu/१८७
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