२४४ मानसरोवर AL चित पक्षपाप्त करने का दे.प लगाते थे, लेकिन इसके साथ यह भी लिख देते थे कि अभी यह अभियोग विचाराधीन है, इसलिए इस पर टीका नहीं की जा सकती। मिरजा नईम ने अपनी खोज को सत्य का रूप देने के लिए पुरे एक महीने व्य- तीत किये। जब उनकी रिपोर्ट प्रकाशित हुई, तो राजानीतिक क्षेत्र में विप्लव मत्र गया। जनता के संदेह को पुष्टि हो गई। कैलास के सामने अब एक जटिल समस्या उपस्थित हुई। अभी तक उसने इस विषय पर एक-मात्र मौन धारण कर रखा था। वह यह निश्चय न कर सकता था कि क्या लिखू। गवर्नमेंट का पक्ष लेना अपनी अन्तरात्मा को पद-दलित करना था, आत्म- स्वातंत्र्य का बलिदान करना था। पर मौन रहना और भी अपमानजनक या । अन्त को अब सहयोगियों में दो-चार ने उसके ऊपर सांकेतिक रूप से आक्षेप करना शुरू किया कि उसका मौन निरर्थक नहीं है, तब उसके लिए तटस्थ रहना असह्य हो गया। उसके वैयक्तिक तथा जातीय कर्तव्य में घोर सग्राम होने लगा। उस मंत्रो को, जिसके अंकुर पचीस वर्ष पहले हृदय में अंकुरित हुए थे, और अब जो एक सघन, विशाल वृक्ष का रूप धारण कर चुकी थी, हृदय से निकालना, हृदय को चीरना था। वह मित्र, जो उसके दुःख में दुःखो और सुख में सुखो होता था, जिसका उदार हृदय नित्य उसकी सहायता के लिए तत्पर रहता था, जिसके घर में जाकर वह अपनी चिंताओं को भून जाता था, जिसके प्रेमालिझन में वह अपने कष्टों को विसर्जित कर दिया करता था जिसके दर्शन मात्र ही से उसे आश्वासन, दृढ़ता तथा मनोबल प्राप्त होता था, उसी मित्र की जड़ खोदनी पड़ेगी 1 वह बुरी सायत थी, जब मैंने संपादकीय क्षेत्र में पदा- पण किया, नहीं तो आज इस धर्म-संकट में क्यों पड़ता ! कितना घोर विश्वासघात होगा। विश्वास मन्त्री का मुख्य अंग है। नईम ने मुझे अपना विश्वासपात्र बनाया है, मुझसे कभी परदा नहीं रखा। उसके उन गुप्त रहस्यों को प्रकाश में लाना उसके प्रति कितना घोर अन्याय होगा? नहीं, मैं मैत्री को कलंकित न करूँगा, उसको निर्मल कीर्ति पर धमा न लगाऊँगा, मैत्री पर वज्राघात न करूंगा। ईश्वर वह दिन न लावे कि मेरे हार्थों नईम का अहित हो । मुझे पूर्ण विश्वास है कि यदि मुम पर कोई संकट पढ़ें, तो नईम मेरे लिए प्राण तक दे देने को तैयार हो जायगा ! उनी मित्र को मैं ससार के सामने अपमानित करूँ, उसकी गरदन पर कुठार चलाऊँ ? भगवान्, मुझे वह दिन न दिखाना।
पृष्ठ:मानसरोवर भाग 3.djvu/२४५
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