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मानसरोवर
परशुराम-जानता भी हूँ और नहीं भी जानता।
मर्यादा- मुझे वासुदेव को ले जाने दोगे ?
परशुराम-वासुदेव मेरा पुत्र है।
मर्यादा-से एक बार प्यार कर लेने दोगे !
परशुराम-अपनी इच्छा से नहीं, हां, तुम्हारी इच्छा हो तो घर से देख
सकतो हो।
मर्यादा-तो भाने दो, न देखेंगी। समझ लूगी कि मैं विधवा भी है और बांक
भी । चलो मन । मन इस घर में तुम्हारा निबाह नहीं है। चलो, जहाँ भाग्य ले वामन