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पृष्ठ:मानसरोवर भाग 6.djvu/२३६

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राज्य-भक्त २५६ पहुँचाने की कोशिश की ; मगर वह यह तो कह देते हैं कि मैं इसकी तहकीकात करूँगा, और फिर वेखबर हो जाते हैं । आज शहर के बहुत-से दूकानदार फ़रियाद लेकर 'प्राये थे कि हमारे हाल पर निगाह न की गई, तो हम शहर छोड़ कर कहीं और चले जायेंगे। मित्तानों ने उनको सख्त कहा, धमकाया, लेकिन उन्होंने जर तक अपनी सारी मुसीबत न बयान कर ली, वहाँ से न हटे। अाखिर जब बादशाह-सलामत ने उनको दिलासा दिलाया, तो चले गये। राजा-बादशाह पर इतना असर हुया, मुझे तो यही ताज्जुब है ! कसान-असर वसर कुछ नहीं हुआ। यह भी उनकी एक दिल्लगी है। शाम को ख़ास मुसाहयों को बुलाकर हुक्म दिया है कि अाज मैं मेप वदलकर शहर का गश्त करूँगा ; तुम लोग भी भेष बदले हुए मेरे साथ रहना । मैं देखना चाहता हूँ कि रियाया क्यों इतनी घबराई हुई है। सब लोग मुझसे दूर रहे ; किसी को न मालूम हो कि मैं कौन हूँ। रोशनुद्दौला और पाँचों अंग्रेज- मुसाहब साथ रहेंगे। राजा-तुम्हें क्योंकर यह बात मालूम हो गयी ? -मैंने उसी अंग्रेज हज्जाम को मिला रखा है। दरबार में जो कुछ होता है, उसका पता मुझे मिल जाता है । उत्ती की सिफ़ारिश से आपकी खिद- मत में हाजिर होने का मौका मिला । ( घड़ियाल में १० वनते हैं ) ग्यारह बजे चलने की तैयारी है। बारह बजते-बजते लखनऊ का तख्त खाली हो जायगा। राजा (घबराकर )-क्या इन सबों ने उन्हें कुल्ल करने की साज़िश कर रखी है ? कसान-जी नदों ; करल करने से उनका मशा न पूरा होगा। वादशाह को बाजार की सेर कराते हुए गोमती को तरफ ले जायेंगे। यहाँ अँग्रेज़ सिपा- हियों का एक दला तैयार रहेगा। वह बादशाह को फौरन एक गाढ़ी पर विटाफर रेजिडेंसी में ले जायगा । वहाँ रेजिडेंट साहय बादशाह-सलामत को सल्तनत से इस्तफा देने पर मजबूर करेंगे। उसी वक्त उनसे इस्तीफा लिखा लिया जायगा और इसके बाद रातारात उन्हें कलकत्ते भेज दिया जायगा। राजा-बड़ा ग़जय हा गया। अब तो वक्त बहुत कम है ; वादशाद- सलामत निकल पड़े होग? कमान-