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लांछन


साहब क्या करते हैं। जब मैंने बता दिया, तो इसे बढ़ा ताज्जुब हुआ; और हुआ ही चाहे । हिन्दुओं में तो दुधमुंहे बालकों तक का ब्याह हो जाता है। खुरशेद ने जांच की और क्या कहती थी।

'और तो कोई बात नहीं हुजूर !'

'अच्छा, उसे मेरे पास भेज दो।'

( ४ )

जुगनू ने ज्योंहो कमरे में कदम रखा, मिस खुरशेद ने कुरसी से उठकर स्वागत किया --- आइए माँजी ! मैं जरा सैर करने चली गई थी! आपके आश्रम में तो सब कुशल है ?

जुगनू एक कुर्सी का तकिया पकड़कर खड़ी-खड़ी बोलो --- कुशल है मिस साहन। मैंने कहा, आपको आसिरवाद दे आऊं। मैं आपकी चेरी हूँ । जब कोई काम पड़े, मुखे बाद कीजिएगा । यहाँ अकेले तो हजूर को अच्छा न लगता होगा ?

मिस० --- मुझे अपने स्कूल की लड़कियों के साथ बड़ा आनन्द मिलता है, वह सब मेरी हो लड़कियां हैं।

जुगनू ने मातृ-भाव से सिर हिलाकर कहा-यह ठीक है मिस साहब ; पर अपना अपना हो है। दूसरा ना हो जाय, तो अरनों के लिए कोई क्यों रोये ?

सहसा एक सुन्दर सजीला युवक रेशमी सूट धारण किये, जूते चामर करता हुआ अन्दर माय। मिस खुरशेद ने इस तरह दौसका प्रेम से उसका अभिवादन किया, मानों जामे में फूलो न समाती हो। जुगनू उसे देखकर कोने में दबक गई।

खुरशेद ने युवक से गले मिलकर कहा --- प्यारे ! मैं कब से तुम्हारी राह देख रही हूँ। (जुगनू से ) मांजो, आप जायें, फिर कभी आना। यह हमारे परम मित्र विलियम किंग हैं। हम और यह बहुत दिनों तक साथ-साथ पढे हैं।

जुगनू चुपके से निकलकर बाहर आई । खानसामा खड़ा था। पूछा-यह लौंडा

खानसामा ने सिर हिलाया-मैंने इसे आज ही देखा है। शायद अब कोरपन से जी ऊमा ! अच्छा तरहदार जवान है।

जुगनू-दोनों इस तरह हटकर गले मिले हैं कि मैं तो लाज के मारे गढ़ गई। ऐसो चूमा चाटी तो जोरू-कसम में नहीं होती। दोनों लिपट गये। लौटा तो मुझे