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नहीं, मनोविज्ञान की अनुभूति है। आज लेखक केवल ई चेक-श्य देखकर कहानी लिखने नहीं बैठ जाती। उसका उद्देश्य स्थूल सौन्दर्य नहीं। वह तो कोई ऐसी प्रेरणा चाहता है, जिसमे सौन्दर्य की झलक हो, और इसके द्वारा वह पाठक की सुन्दर भावनाओं को स्पर्श छर सके।

———प्रेमचन्द