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कुसुम

‌आत्मा जानता है कि मेरे दिल में क्या-क्या अरमान थे। मैंने कितनी बार चाहा कि आपसे कुछ पूंछू, आपसे अपने अपराधों को क्षमा कराऊँ; लेकिन आप मेरी परछाई से भी दूर भागते थे । मुझे कोई अवसर न मिला । आपको याद होगा कि जब दोपहर को सारा घर सो जाता था, तो मैं आपके कमरे में जाती थी और घण्टो सिर झुकाये खड़ी रहती थी, पर आपने कभी आंख उठाकर न देखा। उस वत्त मेरे मन की क्या दशा होती थी, इसका कदाचित् आप अनुमान न कर सकेंगे।मेरी जैसी अभागनी स्त्रियाँ इसका कुछ अन्दाज़ कर सकती हैं । मैंने अपनी सहेलियों से उनकी सोहागरात की कथाएँ सुन-सुनकर अपनी कल्पना में सुखों का जो स्वर्ग बनाया था, उसे आपने कितनी निर्देयता से नष्ट कर दिया ।

मैं आपसे पूछती हूँ, क्या आपके ऊपर मेरा कोई अधिकार नहीं है ? अदालत भी किसी अपराधी को दण्ड देती है, तो उस पर कोई-न-कोई अभियोग लगाती है गवाहियाँ लेती है, उसका बयान सुनती है। आपने तो कुछ पूछा ही नहीं, मुझे अपनी खता मालूम हो जाती, तो आगे के लिए सचेत हो जाती । आपके चरणों पर गिरकर कहती, मुझे क्षमा-दान दो । मैं शपथ-पूर्वक कहती हूँ, मुझे कुछ सहीं मालूम, आप क्यो रूष्ट हो गये । सम्भव है, आपने अपनी पत्नी में जिन गुणों को देखने की कामना की हो वह मुझमे न हो । बेशक मैं अंग्रेजी नहीं पढ़ी, अग्रेंजी-समाज की रीति-नीति से परिचित नहीं, न अङ्गरेजी खेल ही खेलना जानती हूँ । और भी कितनी ही त्रुटियां मुझमें होंगी । मैं मानती हूँ कि मैं आपके योग्य न थी । आपको भुझसे कहीं अधिक रूपवती, बुद्धिमती स्त्री मिलनी चाहिए थी, लेकिन मेरे देवता, दण्ड अपराधों का मिलना चाहिए, त्रुटियों का नहीं । फिर मैं तो आपके इशारे पर चलने को तैयार हूंँ ।आप मेरी दिलजोई करें, फिर देखिए, मैें अपनी त्रुटियों को कितनी जल्द पूरा कर लेता हूंँ ।आपका प्रेम-कटाक्ष मेरे रूप को प्रदीप्त, मेरी बुद्धि को तीव्र और मेरे भाग्य को बलवान कर देगा । वह विभूति पाकर मेरी कायाकल्प हो जायगी।

स्वामी क्या आपने सोचा है। आप यह क्रोध किस पर कर रहे हैं ? वह अबला, जो आपके चरणो पर पड़ी हुई आपसे क्षमा-दान मांग रही है,जो जन्म-जन्मान्तर के लिए आपकी चेरी है, क्या इस क्रोध का सहन कर सकती है?मेरा दिल बहुत कमजोर है। मुझे रुलाकर आपको पश्चात्ताप के सिवा और क्या हाथ आयेगा ! इस क्रोधाग्नि की एक चिन्गारी मुझे भस्म कर देने के लिए काफ़ी है; अगर आपकी