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उन्माद

जेनी-- मैं तुम्हें तलाश करती रही। जब तुम न मिले, तो मेरा जी खट्टा हो गया। मैं और किसी के साथ नहीं नाची , अगर तुम्हें न जाना था, तो मुझे निमंत्रण- पत्र क्यो दिलाया था ?

कावर्ड ने जेनी को सिगार भेंट करते हुए कहा--तुम मुझे लज्जित कर रही हो जेनी ! मेरे लिए इससे ज्यादा खुशी की और क्या बात हो सकती थी कि तुम्हारे साथ नाचता । एक पुराना बेचेलर होने पर भी मैं उस आनन्द की कल्पना कर सकता हूँ। बस, यही समझ लो, तड़प-तडपकर रह जाता था।

जेनी ने कठोर मुस्कान के साथ कहा- तुम इसी योग्य हो कि बेचेलर बने रहो, यही तुम्हारी सजा है।

कावर्ड ने अनुरक्त होकर उत्तर दिया-तुम बढी कठोर हो जेनी ! तुम्ही क्या, रमणियां सभी कठोर होती हैं। मैं कितनी, ही परवशता दिखाऊँ, तुम्ह विश्वास न आयेगा। मुझ यह अरमान ही रह गया कि कोई सुन्दरी मेरे अनुराग और लगन का आदर करती।

जेनी–तुममे अनुराग हो भो ? रमणियों ऐसे बहानेबाजी को मुंह नहीं लगातीं।

कावर्ड-~फिर वहानेवाज़ कहा ! मजदूर क्यों नहीं कहती ?

जेनी–मैं किसी की मजबूरी को नहीं मानती। मेरे लिए यह हर्ष और गौरव की बात नहीं हो सकती कि आपको जब अपने सरकारी, अर्द्ध-सरकारी और गैर-सर- कारी कामो से अवकाश मिले, तो आप मेरा मन रखने को एक क्षण के लिए अपने कोमल चरणों को कष्ट दें। मैं दफ्तर और काम के हीले नहीं सुनना चाहती। इसी कारण तुम अब तक झीख रहे हो।

कावर्ड ने गम्भीर भाव मे कहा---तुम मेरे साथ अन्याय कर रही हो जेनी ! मेरे अविवाहित रहने का क्या कारण है, यह कल तक मुझे खुद न मालम था । कल आप हो-आप मालम हो गया ।

जेनी ने उसका परिहास करते हुए कहा - अच्छा। तो यह रहस्य आपको मालूम हो गया ? तब तो आप सचमुच आत्मदर्शी है । ज़रा मैं भी सुनूं. क्या कारण था ?

कावर्ड ने उत्साह के साथ कहा-अब तक कोई ऐसी सुन्दरी न मिली थी, जो मुझे उन्मत्त कर सकती।